________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्युष्ट (भ० क. कृ०) / वि। उप+यत ] 1. जलाया / प्रज् (भ्वा० पर० व्रजति) 1. जाना, चलना, प्रगति करना, गया 2. पौफटी, प्रभात . जो उज्ज्वल या स्वच्छ हो ... नाविनीतर्वजद्ध यः मनु० 4 / 67 2. पधारना, 4. बसा हुआ, ष्टम् 1. पौ फटना, प्रभात - "शि० पहुँचना दर्शन करना----मामेक शरणं व्रज-भग० 12 / 4 2. दिन 3. फल। 18166 3. विदा होना, सेवा से निवृत्त होना, पीछे व्युष्टिः (स्त्री०) वि+वस--क्तिन् | 1. प्रभात हटना 4. (समय का) बीतना....इयं व्रजति यामिनी 2. समृद्धि 3. प्रशंसा 4. फल, परिणाम। त्यज नरेन्द्र निद्रारसम-विक्रम० 11074, (यह धातु व्यूढ (भ० क० कृ० ) [ वि / वह + क्त ] 1. फुलाया प्रायः गम् या या धातु की भाँति प्रयुक्त होती है), हुआ, विकसित, विशाल, व्यापक . व्यूढोरस्को वृप- अनु , 1. बाद में जाना, अनुगमन करना--मनु० स्कन्धः -रधु० 1113 2. दृढ़, सटा हुआ 3. क्रमबद्ध, 12111 कु० 7138 2. अभ्यास करना, सम्पन्न व्यवस्थित, सेना आदि) सुविन्यस्त-भग० 13 करना 3. सहारा लेना, आ--, आना, पहुँचना, परि / 4. अव्यवस्थित, कमहीन 5. विवाहित। सम० भिक्ष या साघ के रूप में इधर-उधर घूमना, संन्यासी ___ कडकट (वि०) कवचित, जिरह वख्तर पहने हुए। या परिव्राजक हो जाना, प्र-, 1. निर्वासित होना व्यूत (वि०) [वि+के+क्त ] 1. अन्तर्वलित, सीया | 2. सांसारिक वासनाओं को छोड़ देना, चौथे आश्रम गया, गूथा गया। में प्रविष्ट होना, अर्थात् संन्यासी हो जाना--मनु० व्यतिः [स्त्री०) विवे--विनन् ] 1. बनाई, सिलाई 6 / 38, 8 / 363 / 2. बुनाई की मजदूरी। वजः [वज्+क | 1. समुच्चय, संग्रह, रेवड़, समूह व्यूहः [वि-1-ऊह -घा ] 1. सैनिक विन्यास--मनु० नेत्रव्रजाः पौरजनस्य तस्मिन् विहाय सर्वान्नुपतीन्निपेतुः 7187 2. सेना, दल, टुकड़ी . व्यूहावुभौ तावितरे- ----रघु०६७, 7 / 67, शि०६।६, 14 / 33 2. ग्वालों तरस्मान् भङ्ग जयं चापत्रव्यवस्थम् रघु० 7 / 54 के रहने का स्थान 3. गोप्ठ, गौशाला --शि०२१६४ 3. बड़ी मात्रा, समवाय, समुच्चय, संग्रह 4. भाग, 4. आवास, विश्रामस्थल 5. सड़क, मार्ग 6. बादल अंश, उपशीर्ष 5, शरीर 6. संरचन, निर्माण 7. तर्कना, 7. मथुरा के निकट एक जिला। सम०–अङ्गाना, तर्क। सम पारिणः (स्त्री०) सेना का पिछला यवतिः (स्त्री०) ब्रज में रहने वाली स्त्री, ग्वालन भाग, भाः , भवः मनिक व्यह को तोड़ देना। भामि० 21165, .. अजिरम् गोशाला, किशोरः व्यूहनम् / वि+ऊह ल्यूट | 1. सेना को व्यवस्थित -नायः,-मोहनः,-बरः,-वल्लभः कृष्ण के विशेषण / करना, सेना को क्रमबद्ध करना 2 शरीर के अंगों की प्रजनमजल्यट] 1. घमना, फिरना, यात्रा करना संरचना। 2. निर्वासन, देश निकाला। व्युद्धिः (स्त्री०) [दिगता नद्धिः --प्रा० स० | 1. समृद्धि बज्या ब्रज+क्या-टाप1. साधु या भिक्षु के रूप में का अभाव, बुरी किस्मत, दुर्भाग्य (बिगता ऋद्धि- इधर-उधर घूमना 2. आक्रमण, हमला, प्रस्थान व्युद्धिः) जैसा कि यवनाना न्युद्धिर्दयवनम्--सिद्धाः। 3. खेड़, समुदाय, जनजाति या कबीला, संप्रदाय व्ये (भ्वा० उभ० व्याति ते, ऊन, प्रेरक व्यायति ते, 4. रंगभूमि, नाट्यशाला। इच्छा० विधामति) 1. इकना 2. सोना / | व्रण / (भ्वा० पर०व्रजति) ध्वनि करना। व्योकारः [व्योकृ-|-अग् ] लुहार। / (चुरा० उभ० व्रणयति-ते) चोट पहुँचाना, व्योमन् (नपुं० ) [ व्ये / मनिन्, पृयो०] आकाग, अन्तरिक्ष / घायल करना। -अस्त्वेवं जडवामता तु भवतो यद् व्याम्नि विस्फूर्जमे व्रणः, व्रणम् [वण्-+अच् ] 1. घाव, क्षत, जस्म, चोट -काव्य०१०, मेध०५१, रघु०१२॥६७, नै० 22054 -रघु० 12 / 55 2. फोड़ा, नासुर / सम०-अरिः 2. जल 3. सूर्य का मन्दिर ... अभ्रक / सभ०-उदकम् बोल नामक गंवद्रव्य,---कृत (वि.) घाव करने वाला, बारिश का पानी, ओस,--केशः,-केशिन् (60) (50) भिलावे का पेड़,-विरोपण (वि०) घाव शिव का विशेषण, -गंगा स्वर्गीय गंगा, चारिन् / भरने वाला - श० 4 / 13, -शोधनम् धाव का साफ (पुं०) 1. देव. पक्षी / सन्त, महात्मा 4. ब्राह्मण / करना तथा पट्टी बाँधना, हः एरंड का पौधा / 5. तारा, नक्षत्र, --धमः वादल.--नाशिका एक प्रकार प्रणित (वि०) [वण-इतच ] घायल, जिसके खरोंच की बटेर, लवा,-मंजरम, --मंडलन् झंडा, पनाका, आ गई हो -उत्तर० 4 / 3 / -मुद्गरः हवा का झोंका, -यानम् दिव्यसवारी, व्रतः, वतम प्रज -घ, जस्य तः] 1. भक्ति या साधना का आकाशयान,---शद् (पुं०) 1. देव, मुर 2. गन्धर्व बार्मिक कृत्य, प्रतिज्ञात का पालन, प्रतिज्ञा, पण-अभ्य3. भूत-पंत, -स्थली पृथ्वी,-'पश् (वि.) गगनचुंबी, / म्यतीव व्रतमासिबारम-रष०१३।६७, २१४,२५,(भिन्न अत्यन्त ऊँचा। भित्र-पुराणों में अनेक व्रतों का वर्णन किया गया है, For Private and Personal Use Only