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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संशयतिमिरप्रदीप । G * नैवेद्य पूजन। कितने लोग तो नैवेद्य की जगहँ नारियल के खंडों को नैवेद्य की कल्पना करके उन्हें काम में लाते हैं और कितनों का कहना है कि यह ठीक नहीं है । जैन शास्त्रों में नैवेद्य पूजन के विषय का उल्लेख है उस जगहँ विविध प्रकार के बने हुवे घेवर, फेनी, मोदक आदि पक्वानों का तथा तात्कालिक पवित्र भोजन सामग्री के चढ़ाने के लिये लिखा हुआ है। कितने लोग पक्कानों को चढ़ाना स्वीकार करते हुवे भी कच्ची सामग्री का निषेध करते हैं । उनका कहना है कि चौके के बाहर का भोजन श्रावकों के भी योग्य नहीं रहता फिर परमात्मा की पूजन में उसे कौन ठीक कहेगा ? ___ चौके के बाहर का भोजन प्रवृत्ति के अनुसार श्रावक के योग्य यदि ठीक नहीं भी कहा जाय तो कोई हर्ज की बात नहीं है। परन्तु जिन भगवान की पूजन में उसका विधान होते हुए भी निषेध करना ध्यान में नहीं आता । पहले तो इस विषय को महर्षियों ने लिखा है और सैकड़ो कथायें भी इस विषय की मिल सकती है जिन से कच्ची सामग्री का चढ़ाना निर्दोष ठहर सकता है । जरा मीमांसा करने का विषय है कि कच्ची भोजन सामग्री इसीलिये निषेध की जाती है न ? कि वह चौके के बाहर की श्रावका के योग्य नहीं रहती इसलिये पूजन में भी अयोग्य है। परन्तु यह कारण ठीक मालूम नहीं पड़ता। पूजन की For Private And Personal Use Only
SR No.020639
Book TitleSanshay Timir Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherSwantroday Karyalay
Publication Year1909
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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