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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संशयतिमिरप्रदीप । ४३ लेख से हो सकेगा । यहां प्रकत विषय सामान्य पुष्प पूजन का होने से लिखा नहीं गया है। पुष्य पूजन के विषय में शास्त्रों की पाज्ञा को पहलेहो खुलासा किये देते हैं। भगवान् उमास्वामी श्रावकाचार में यों लिखते है :पद्मचम्पक जात्यादिसग्भिः सम्पूजयेज्जिनान् । अर्थात् - कमल, चम्पक और जाति पुष्पादिको से जिन भगवान की पूजन करनी चाहिये। श्री बसुनन्दि श्रावकाचार में लिखा है कि :मालियकयंबकणयारिवं पयासोयबउलतिलएहिं। मन्दारणायचम्पयपउमुप्पल सिन्दुवारहिं ॥ कणवीरमल्लिया कचणारमयकुन्दकिङ्कराएहिं । सुखणजजुहियापारिजासरगाढगरेहिं ॥ सोवएणरूवमेहिं य सुबादामेहिं बहुप्ययारहिं । जिणपयसंकयजुयलं पूजिज्ज सुरिन्द सयमहियं ॥ ___ अर्थात्- मालती, कदम्ब, सूर्यमुखी, अशोक, बकुल, तिलक वृक्ष के पुष्प, मन्दार, नागचम्या, कमल, निगुंडो, कणवीर, मल्लिका, कचनार, मचकुन्द, किंकर, कल्पवृक्ष के पुष्प, पारिजात और सवर्ण चांदी के पुष्पादिकों से पूजनीय जिन भगवान् के चरण कमलों की पूजन करना चाहिये। . इन्द्रनन्दि पूजासार में कहा है :ॐ सिन्दुवारैर्मन्दारैः कुन्दैरिन्दीवरैः शुभैः । नन्द्यावर्तादिभिः पुष्पैः प्रार्चयामि जगद्गुरुम् ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020639
Book TitleSanshay Timir Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherSwantroday Karyalay
Publication Year1909
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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