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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संशयतिभिरप्रदीप | १५३ प्रश्न -- फिर यह कहो कि शाशन देवता किस लिये पूजे जाते हैं ? उत्तर- जिन शासन की रक्षा के लिये । प्रतिष्ठादि कार्यों में अनेक प्रकार के क्षुद्र देवादिकों के द्वारा उपद्रवों के किये जाने की संभावना रहती है इसलिये शासन देवता उसके निवारण के लिये नियोजित हैं। इसी से जिनदेव के साथ २ उनका भी उनके योग्य सत्कार किया जाता है 1 प्रश्न- जब वे शासन के रक्षक हैं और धर्मात्मा हैं तो स्वयं रक्षा करेंगे ही इस में उनके पूजने की क्या आव श्यक्ता है ? उत्तर- आवश्यक्ता क्यों नहीं जब प्रतिष्ठादि कार्यो मे छोटे से छोटेका यथोचित सत्कार किया जाता है फिर यह तो जिन धर्म के भक्त और शासन के रक्षक हैं इसलिये अवश्य सत्कार के पात्र हैं । देवपर्याय में ऐसा कौनसा उन्होंने भीषण अपराध किया है जो जरा से सत्कार के पात्र नहीं रहे। क्या यह उनके जैनधर्म के भक्त होने का प्रायश्चित है ? जो जैनीलोग छोटे छोटे और नीच से नीच मुसलमानादिकों का मन माना सत्कार कर डालें और जो खास जिन धर्म के भक्त तथा रक्षक हैं उन की यह दशा ! जो विचारे थोड़े से सत्कार के लिये तरसें । यह तो हम भी कहते हैं कि यदि वे जिनधर्म के सच्चे भक्त होंगे तो जिन शासन की रक्षा करेंगे ही परन्तु यह तुम्हें भी तो योग्य नहीं है जो त्रैलोक्यनाथ के साथ में रहने वाले खास अनुचरों का असत्कार करडालें । पुराणादि For Private And Personal Use Only
SR No.020639
Book TitleSanshay Timir Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherSwantroday Karyalay
Publication Year1909
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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