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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra C www.kobatirth.org संशय तिमिरप्रदीप | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्राद्ध निर्णय 1 ब्राह्मण लोग मरे हुवे पुरुषों का श्राद्ध करते हैं । अर्थात् जिस दिन अपने माता पितादि कुटुम्बी जनों का परलोक गमन होता है प्रायः वर्षभर में उसी दिन तीर्थादिकों में जाकर मृत पुरुषों के नाम पिंड दान करते हैं और उस से उनकी तृप्ति होना मानते हैं । यह विधान ब्राह्मणों में उनके शास्त्रानुसार है । वे लोग जैसा कुछ माने अथवा करें हम उस में हस्ताक्षेप नहीं कर सकते और न करते हुये को रोक सकते हैं परन्तु आज जैन शास्त्रानुसार श्राद्ध विषय पर विचार करना है इसलिये ब्राह्मणों का कथन पहले लिखना उचित समझा गया। जिस तरह श्राद्ध का करना ब्राह्मण लोगों में प्रचलित है उस तरह न जैन समाज में इसकी प्रवृत्ति है और न जैन शास्त्रों की आज्ञा है । परन्तु श्राद्ध शब्द का व्यवहार किसी विशेष विषय के मैं लगा हुआ है उसेही श्राद्ध कहते हैं । इसी शब्द के नाम मात्र से हमारे कितने महानुभाव विना उस पर पूर्ण विचार किये एक दम इसे मिथ्यात्व का कारण कल्पना करने लगते हैं । परन्तु खेद के साथ कहना पड़ता है कि जैन शास्त्रों के कथन को न देख कर किसी विषय के सम्बन्ध में कठोर निरीक्षण करने केलिये उनका दिल कैसे अभिमुख होता होगा ? यदि केवल नाम मात्र के उच्चारण करने पर दोष की सम्भावना करली जाय तो हमारा कहना है कि जिस तरह हम लोग अहिंसा धर्म के मानने वाले हैं उसी तरह ब्राह्मण लोग भी हैं अथवा साथ For Private And Personal Use Only
SR No.020639
Book TitleSanshay Timir Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherSwantroday Karyalay
Publication Year1909
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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