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अल्प वक्तव्य
साहित्यमां अंकोनो काव्यादिमां वणी लेवा तेवी तेवी संस्थाना वाचक शब्दोनो उपयोग करवामां आवे छे. जैन साहि त्यना काव्योमां रचना कालनी संवत्ने आ रीते संस्कृत प्राकृत तेमज गुजराती काव्योमां संख्यावाचक शब्दो द्वारा सूचित करवामां आवे छे.
ret ivanaras मन्दोनो संग्रह जरूरी हतो अने तेमाटे प्रसंगे प्रसंगे नोंध करवामां आवती हती.
कि. सं० २०२५ नु चातुर्मास परम शासन प्रभावक पूज्यापाद आचार्य देवेश श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजाना सानिध्यमा उमाजी भुवनमा चातुर्मास वयु प्राचीन हस्तलिलित साहित्यना रसने कारणे पालीताणा शेठ आणंदजी कल्याणजी पेटीमा हस्तलिमित भंडार जोवा माटे जवानु पयु परंतु ते मण्डार पेक करीने अमदाबाद मोकलवा तैयार यइ गयो हतो अमदावादा पेढी साधे पत्र व्यवहार करीने ते भण्डार पालीताणा व रक्ताम्यो अने भण्डारने रोज ५-६ कलाक बेसी मेनेजर श्रीमालना सहकार थी तथा उपमेनेजर श्री पाठक ने साथै राखीने २ मास उपर समय लईने व्यवस्थित कर्यो तेमां बे भण्डार हता एक पेढी नो अने Hatat खंभातना दिवान श्री अंबालाल भाईनो.
चातुर्मास पूर्ण थवा आव्यु अने विहार करवानो होवाथी डीना प्रमुख श्री सुश्रावक श्री कस्तूरभाई लालभाईए हस्तलिखित साहित्यना अनुभवी श्री लक्ष्मणभाई भोजकने सहायमां मोकल्या.
श्री लक्ष्मणभाई पत्र मेलवया आदिमां सारा सहायक म्या तेमनी पासे संख्यावाचक शब्दोनी एक नोट हती मने ते
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