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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्करण तैयार हो सका। इस में प्रयुक्त प्रतियों के प्रेषण में जिन महानुभावों ( नाम ऊपर प्रासंगिक रूप से आ चुके हैं) सहायता कर हमारा कार्य सरल किया, उनको, व पूज्य गुरुदेव के सदुपदेश से जिन जिन श्रावकोंने, ज्ञानवृद्ध्यर्थ आर्थिक मदद की, उन सब को धन्यवाद देना आवश्यक ही नहीं, अपितु अनिवार्य कर्तव्य समझते हैं। श्री जिनवल्लभसूरिजी महाराजा का जो चित्र (काष्ठपट्टिका) प्रकाशित किया जा रहा है, उसका ब्लोक बीकानेर से भँवरलालजी नाहटा द्वारा प्राप्त हुआ था । तदर्थ वे भी धन्यवाद के पात्र हैं। इस के शोधन में दृष्टिदोष से या तथाकथित कारण से यदि स्खलना रह गई हो तो पाठक सहानुभूतिपूर्वक सुझाने का कष्ट करेंगे। सिवनी, (सी० पी०) शुभाकांक्षी, श्रा० शु० ७, सं. २००९ मुनि मंगलसागर प्रेस में छप रहे है१ महावीर स्तोत्र अवधिमह A मूल - श्री जिनवल्ल मसूरिजी, अवचूरि, कर्ता-श्री नरसुन्दर गणि । चन्ददूत-काव्य B कर्ता-श्री विमलकीर्ति गणि, विद्वत्प्रबोध C कर्ता श्रीवल्लभ गणि, २ सप्तोपधानविधि ३ पंचप्रतिक्रमण सविधि प्रकाशक : जिनदत्तसूरि ज्ञानभंडार, सुरत. ROYNYANESCRIK NAGORIEOMYOGERGEORGAYOGENDER NEEDOMETRohitak For Private And Personal Use Only
SR No.020632
Book TitleSanghpattak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshraj Upadhyay
PublisherJinduttsuri Gyanbhandar
Publication Year1953
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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