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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संघपति रूपजी-वंश-प्रशस्ति १. प्राग्वाटवंशीय श्रेष्ठिदेवराज अहमदाबाद का निवासी था। व्यापारियों में मुख्य था। इसने सं० १४८७ माघ शुक्ला ५ को श्री मुनिसुव्रतस्वामी के बिम्ब की प्रतिष्ठा खरतरगणाधीश श्री जिनभद्रसूरि के करकमलों से करवाई थी। २. संघपति योगी ने स्वधर्मी बन्धुनों को हेममुद्रा (मोहर) की लावणी (भावना) की थी और वह सदा याचकों को अभीष्ट दान देता था। ३. संधपति योगी की प्रथम पत्नी जसमादे ने अहमदाबाद के तलीयापाडे में सुमतिनाथ का नवीन मंदिर का निर्माण करवा कर प्रतिष्ठा करवाई था। ४. संघपति योगी की दूसरी पत्नी नानी काकी ने एकादश अंगादि समस्त शास्त्रों की प्रतिलिपियाँ करवाकर स्वयं के नाम से ज्ञान भण्डार स्थापित किया था। ५. संघपति सोमजी ने वि० सं० १६४४ में खरतरगणनायक युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरि से शश्रृंजयतीर्थ की यात्रार्थ संघ निकालने को स्वाभिलाषा प्रकट की। आचार्यश्री को स्वीकृति प्राप्त होने पर सं० सोमजो ने सब जगह आमन्त्रणपत्रिकायें भेजों । आमन्त्रण प्राप्त कर अनेकों स्थानों के हजारों यात्री और अनेक संघ प्रमदाबाद पाये और शुभ मूहूर्त में संघपति सोमजी की अध्यक्षता में यह तीर्थयात्री-संघ अमदाबाद से चल पड़ा। संघ क्रमशः शत्रुजयतीर्थ पर पहुंचा और वहाँ बड़ी भक्ति से तीर्थ को अर्चना-पूजा की। संघनायक युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि ने सोमजी को संघाधिपति-पद प्रदान किया । यात्रा कर संघ पुनः अमदाबाद आया। ६. सं० सोमजी ने सं० १६४८ में हलारा स्थान के बंदियों को द्रव्य देकर कंदखाने से छुड़दाया। ७. सं० सोमजो ने खरतरगच्छानुयायो समस्त स्वधर्मी भाइयों को सोने को अंगूठी को लंभनिका (प्रभावना) को। ८. सं० सोमजो ने अहमदाबाद के सामलपाडे में सांवला पार्श्वनाथ चत्य का नवीन निर्माण करवाया। ६. सं० सोमजी ने सूत्रधार धता की पोल में नीचे भूमितल पर आदिनाथ भगवान् का और ऊपर चतुर्मुख (चौमुखा) शान्तिनाथ का विशाल मन्दिर का निर्माण करवाया और सं० १६५३ में सम्राट अकबर प्रतिबोधक युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि के करकमलों से चौमुखा शांतिनाथ मन्दिर की प्रतिष्ठा बड़े महो. त्सब से करवाई। For Private And Personal Use Only
SR No.020631
Book TitleSanghpati Rupji Vansh Prashasti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1969
Total Pages34
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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