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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir RAUNARE दृढ़ संकल्प - पूज्य जैनाचार्य श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज जो पुरुष अपने दृढ़ संकल्प से किसी भी कार्य का आरंभ कर देते हैं, उसमें यदि विघ्न बाधाये आ जाने पर भी साहस पूर्वक अंतिम पल तक डटे रहते हैं, उसे मध्य में नहीं छोड़ते, उनको उसमें अवश्य सफलता मिलती है। इस प्रकार के पुरुष कार्य तो आरंभ कर देते है परन्तु उसमें विघ्न खड़े हो जाने पर उसे अधबीच में ही छोड़कर भाग निलकते हैं, उन लोगों के कार्य की रूप रेखा छिन्न भिन्न हो जाती है साथ ही उनको हताश होकर भी बैठना पड़ता है, ऐसे लोगो जघन्य पुरुष कहलाते है और जो लोग विघ्न के कारण कार्य का आरंभ ही नहीं करते उनको अधमपुरुष समझना चाहिए जो अपने किसी भी ध्येय को सफल नहीं बना सकते ___संसारी और त्यागी वर्ग में कुछ लोगों का वाकपटुता दिखाने, कुछ लोगो की व्यर्थ माथापच्ची करना, कुछ लोगों की चिन्ताजनक हल्ला-गुल्ला उढाने कुछ लोगों की अकारण हास्य मस्करी करने, कुछ लोगों की प्रतारण पर स्त्रीमगन और दूसरों को कलंकित करने, कुछ लोगों की एक दूसरे को लढ़ाने, पारस्परिक वैमनाय फैलाने झुठी गवाही देने, झूठे खत पत्र लिखने एवं नामा लेखा बनाने की आदत पड़ जाती है। वे अपने इस प्रकार की आदतों में ही आनन्द प्रमोद मानते हैं। लेकिन ऐसी आदतों में सत्यांश बिल्कुल नहीं होता किंचित सत्य भी होता है तो वह असत्य में परिणित हो जाता है। अपना आत्म विकास एवं स्व-पर का समुत्थान चाहने वालों को ऐसी नीच आदतों को मूलतः छोड़ देनी चाहिए। वास्तविक आदतों को अपनाने वाले व्यक्तियों का ही सर्वत्र समादर होता है। For Private And Personal
SR No.020622
Book TitleSammetshikhar Jain Maha Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay
Publication Year1994
Total Pages71
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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