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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra साधुसाध्वी ॥ १९ ॥ www.kobatirth.org. Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandir कुसुमलया | सत्ते य सया अजिअं, सारीरे अ बले अजियं ॥ तब संजमे अ अजियं, एस थुणामि जिणमजियं ॥ १६ ॥ भुअगपरिरंगियं ॥ सोमगुणेहिं पावइ न तं नवसरयससी, तेअगुणेहिं पावइ न तं नवसरपरवि ॥ रूवगुणेहिं पावइ न तं तियसगणवई । सारगुणेहिं पावइ न तं धरणिधरवई || १७ || खिज्जिअयं । तित्थवरपवत्तयं तमरयरहियं धीरजणधुअचियं चुअकलिकलुषं संति-मुहपवन्तयं तिगरणपयओ संतिमहं महामुनिं सरणमुवण ।। १८ ।। ललिअयं ॥ विणओणयसिररइ अंजलिरिसिगणसंधुअं थिमिअं । विवुहाहिव-धणवइ-नरवइयुअमहिअचिअं बहुसो || अइरुग्गयसरयदिवायरसमहियसप्पभ्रं तवसा । गयणंगणविहरणसमुह अचारणवदिअं सिरसा ॥ १९ ॥ किसलयमाला ॥ असुर गरुलपरिवंदियं, किन्नरो-रगनमंसियं ॥ देवकोडिसयनुंथुआं, समणसंघपरिवंदिअं ॥ २० ॥ सुमुहं ॥ अभयं अणहं अरयं अरुयं । अजिअं अजिअं पयओ पणमे ॥ २१ ॥ विज्जुविलम्रियं ॥ आगया वरविमाणदिव्य कणगरह-तुरय-पहकरसएहिं हुलिअं । ससंभमोअरणखुभिअ-लुलियचलकुंडल-गय-तिरीडसोहंतमउलिमाला || २२ || बेडुओ ॥ जं सुरसंघा सासुरसंघा वेरविउत्ता भत्तिसुजुत्ता, आयरभूसिअ संभमपिंडिय-सुसुबिम्हि अ-सव्ववलोधा । उत्तमचण-रयणपरूविअभासुरभूसण भानुरिअंगा, गायसमोणयभक्तिवसागय-पंजलिपेसियसीसपणामा || २३ ।। रयणमाला || वंदिऊण थोऊण तो जिणं, तिगुणमेव य पुणो पयाहिणं । पणमिण. य जिणं सुरासुरा, पमुइआ सभवणाई तो गया ॥ २४ ॥ विन्तयं ॥ For Private And Personal Use Only प्रतिक्रमण सूत्र. ॥ १९ ॥
SR No.020616
Book TitleSadhu Pratikraman Sutrani Tatha Sadhu Vidhi Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamakalyan Upadhyay
PublisherGovindjibhai Harshi Punshi
Publication Year1917
Total Pages50
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size3 MB
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