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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋषि मंडल आलम्बन हर एक मंत्रको सिद्ध करने के लिये यह नियम है कि जिस मंत्रका जो अधिष्ठाता हो उनहीका चित्र अथवा प्रतिमा आलम्बन रुप सामने रखना चाहिए । बहुधा एसा देखा जाता है कि इस विषयका ध्यान साधक वर्ग कम रखते है, और जहां सिद्धचक्र को आलम्बन रुप रखना चाहिए वहां यक्षको या माणिभद्रजी पद्मावती आदिको आलम्बन में रखते हैं. देवकी जगह देवी और यक्षकी जगह देव आदि विपरीत आलम्बन रखनेसे मंत्र सिद्ध नहि होता। ऋषि मंडलके पति-अधिष्ठायक चौबीस जिनेश्वर भगवान हैं जिनकी स्थापना ही में बताई गई है और परिकरमें देव देवियों की स्थापना जो रक्षाके हेतु व कार्य सिद्ध करनेके निमित्त की गई है, इस लिये सबसे अच्छा आलम्बन तो ऋषिमंडल यंत्र ही है और सिद्धचक्रजी का आलम्बन भी इस मंत्र जाप में उपयोगी बताया गया है। ____ ऋषिमंडल यंत्र सोनेके चांदीके तांबेके कांसीके अथवा सर्व धातुके पतडे पर बना हुवा मिल जाय तो सबसे अच्छा है, और एसा न मिल सके तो ऋषिमंडल यंत्र जो इस पुस्तकके साथ दिया जा रहा है उसी को आलम्बन में रख लेवे क्यों कि इस मंत्र जाप में जितनी तरहकी स्थापना चाहिए सारी इस मंत्रमें मौजूद है। For Private and Personal Use Only
SR No.020611
Book TitleRushimandal Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherSadgun Prasarak Mitra Mandal
Publication Year1940
Total Pages111
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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