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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सकलीकरण www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५. मस्तक शुद्धि मंत्र ७ ७ ॥ ॐ नमो भगवती ज्ञानमूर्तिः सप्तशतक्षुलकादि महाविद्याधिपतिः विश्वरुपिणी हाँ है क्षौ क्षा ॐ शिरस्त्राणपवि - त्रीकरणं ॐ णमो अरिहन्ताणं हृदयं रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा ॥ इस मंत्रद्वारा मस्तक निर्मल करना और शुद्ध हृदयसे यथासाध्य जाप करते जाना जिससे मंत्र तत्काल सिद्ध होता है। ॥ मस्तक रक्षा मंत्र ॥ ॐ णमो सिद्धाणं हर हर विशिरा रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा ॥ इस मंत्रद्वारा मस्तक रक्षाकी भावना रख बोलते समय मस्तक पर हाथ लगाना चाहिए । || शिखा बन्धन मंत्र ॥ ॐ णमो आयरियाणं शिखां रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा । इस मंत्रद्वारा शिखाको पवित्र करके, चोट्टीके केशों (बाल) को बांधना चाहिए, वांधते समय बालोंमें गांठ नही लगाना और यूंही लपेटकर स्थिर करदेना चाहिए । ॥ मुखरक्षा मंत्र ॥ For Private and Personal Use Only ॥ ॐ णमो उवज्झायाणं एहि एहि भगवति वज्रवकवचं वज्रणि रक्ष रक्ष हूँ फट् स्वाहा ॥
SR No.020611
Book TitleRushimandal Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherSadgun Prasarak Mitra Mandal
Publication Year1940
Total Pages111
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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