SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ऋषिमंडल मंत्रभेद www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८३ स्थापना ॐ ह्रीं ऋषभ० (२४) तीर्थकर परमदेवा तस्याघिष्टायकादेवा अत्र तिष्ठ ठः ठः स्वाहाः ॥ ॥ सन्निहीकरमंत्र ॥ ॐ ह्री ऋषभ० (२४) वर्द्धमानांता तीर्थङ्कर परमदेवा तस्याधिष्ठायकादेवा अत्र मम सन्निहिता भववषट ॥ इस मंत्र को बोलकर तीर्थङ्करोकी स्थापना व यंत्र में जो स्थापना है उनकी अष्ट द्रव्यसे पूजा करना, और प्रत्येक - पूजा का श्लोक बोलकर ( पूजा के श्लोक अष्ट प्रकारी पूजामे से बोलना ) प्रत्येक श्लोक के बाद बोलनेके मंत्र इस तरह हैं । For Private and Personal Use Only (जल) ॐ ही ऋषभ वर्द्धमानेभ्योस्तीर्थङ्कर परमदेवोभ्य जलं चर्चयामिति स्वाहा: ॥ (चंदन) ॐ ह्रीं ऋषभ बर्द्धमानेभ्योस्तिर्थङ्कर परमदेवोभ्य गंधय चर्चयामिति स्वाहाः ॥ (पुष्प) ॐ ही ऋषभ० वर्द्धमानेभ्यो स्तिर्थङ्कर परमदेवेभ्यो पुष्पं चर्चयामिति स्वाहा: (अक्षत) ॐ ही ऋषभ० वर्द्धमानेभ्योस्तिर्थङ्कर परमदेवेभ्यो अक्षतं चर्चयामिति स्वाहा ॥
SR No.020611
Book TitleRushimandal Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherSadgun Prasarak Mitra Mandal
Publication Year1940
Total Pages111
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy