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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाग ( १७८ ) भावन सांय, भाड़ जिसमें दाना प्रादि भूना जाता है। पायनि राजीव नैन भानु सोम-रत है। उदा० सूल से फूल सुबास कुबास सी, भाकसी -गंग से भये मौन सभागे।। -केशव | भामा-संज्ञा, स्त्री० [सं०] क्रोधवती स्त्री । भाग-संज्ञा, पु० [सं० भाग्या मस्तक, माथा । उदा० बामा भामा, कामिनी कहि बोलौ, प्रानेस। उदा० १. कछु न सुहात अनखाति अति पान प्यारी कहत खिसात नहिं पावस चलत खाति आरसी न देखति न देति बेंदी विदेस। -बिहारी भाग में। -रघुनाथ | भामै-वि० [सं० भा=प्रकाश+मै=मय] भाजी-संज्ञा, पु० [देश॰] विवाह आदि उत्सव प्रकाश युक्त, आमा सहित । में जो मिष्ठान बांटा जाता है, उसे भाजी कहा उदा० कंचन से तन कंचनी, स्याम कंचुकी अंग जाता है। माना भामै मोरही, रहै घटा के संग । उदा. गेह चिनाय करूं गहना कछु, ब्याही सुता -रहीम सुत बाँटिये भाजी। -भूधर दास भारगव-संज्ञा, पु० [सं० भार्गव] शुक्र, शुक्रभाडेत्या-संज्ञा, पु० [हिं० भाड़ा] भाड़ा या तारा। किराये पर लेने वाले। उदा० कालीज के कज्जल की, ललित, लूनाई. उदा० येक दिनां तब ऐसो भयौ भाडेत्याँ भाडे सोतो सारे नम संडल में भारगव चन्द्रमा । मौ लयौ। -जसवंतसिंह -पदमाकर भानना-क्रि० स० [सं० मंजन] बेधना, चुभाना भारत-संज्ञा, पु० [सं.] वृत्तांत, लम्बी कथा । २. भंजन करना, नष्ट करना । उदा० गोकल के कुल के गली के गोप गाउन के . उदा० प्यारी को, अनंग अंग बानन सों भानो है। जौ लगि कछू को कछू भारत भने नहीं। -दूलह -पद्माकर भानमती-संज्ञा, स्त्री० [सं० भानुमती] जादू- भारथ-संज्ञा, पु० [हिं० भरत] १. भरत पक्षी, गरनी। २. लड़ाई। उदा० कामरु कामिनि काम कला जग-मोहनि उदा० १. भारथ अकर करतूतिन निहारि लही, भामिनि भानमती है।। यातें घनस्याम लाल तोते बाज आए री। -देव -दास । भानवी-संज्ञा, स्त्री० [सं० भानु] भानु से भाल--संज्ञा, पु० [सं० भल्ल] १. बाण का 'उत्पन्न, दिव्यनारी। फल, २. माथा। उदा. देवी कोउ मानवी न दानवी न होइ ऐसी, | उदा० १. घन से सघन स्याम केस बेस भामिनी भानवी न हाव-भाव भारती पढ़ाई है। के, ब्यालिनी सी बेनी भाल ऐसो एक भाल -केशव ही। -दास भाना-संज्ञा, पु० [सं० माना भान. सुर्य । भावक-क्रि० वि० [सं० भाव] थोड़ा, किंचित उदा० कंचन से तन कंचनी, स्याम कंचुकी अंग २. भावपूर्ण। भाना भामै भोरही, रहै घटा के संग । उदा० भावक उभरौहौं भयो कछुक परयो मरु --रहीम प्राय । सीपहरा के मिस हियो निसि दिन भानु सुत-संज्ञा, पु० [सं.] शनि नामक ग्रह देखत जाय। -बिहारी जिसका रंग श्याम माना गया है। भाववी-संज्ञा, स्त्री० [हिं० भावती] १. प्रिया, उदा० बंदन डिठौना दै दुरायोमुख घुघुट मैं, | नायिका २. अच्छी लगने वाली। झीनी स्याम सारी त्यौं किनारी चहुं फेर । उदा० १. शुक सों कह्यो बिप्र प्रकलाई। मोहिमैं । भूमिसुत भानुसुत जुत सोभमान मानौ, भावदी की सुधि आई। -बोधा झलक मयंक घन दामिनि के घेर मैं ।। २. बल्लभा बाल प्रिया बनिता मनभावदी __ -बेनीप्रवीन बाम हितू गजगौनी। -बोधा भानु-सोम-रत=संज्ञा, पु० [सं० भानु-शोभा | भावन-संज्ञा, पु० [हिं० भावना] नायक, पति, रत] सूर्य की शोभा में तल्लीन, कमल । प्रियतम । उदा० जीते गजराज गति राजत न राजहंस, ' उदा० मोहन की मनि में अपनों प्रतिबिंब निहारत For Private and Personal Use Only
SR No.020608
Book TitleRitikavya Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorilal
PublisherSmruti Prakashan
Publication Year1976
Total Pages256
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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