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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोल ( १०२ ) टटोहना - रस, शोरवा । का भाव । २. तकरार, विवाद, डाँट फटकार उदा० कढ़ी झोर झोरी परसत बरजोरी। [हिं० झांव] । ...देव । उदा. रघुनाथ बूझति हौं बुझत सकोच लागै बिन झोल--संज्ञा, पु० [सं० ज्वाल] भस्म, राख २. । बूझे चैन जात छेक्यो सोच झौर सों। २, दाह, जलन । -रघुनाथ उदा० पापी कलापी के ये कढ़त बोल श्रति खोल झोरना -क्रि० प्र० [अनु०] १. हिलना २. कीन्हे मन झोल डोल पुरवाई अरि है। गूजना । -रघुनाथ उदा० १. आम मौर झोरै मौर झौरन पै झूमैं झोंक-संज्ञा, पु० [हिं० मुट्टी] फंका, मुठ्ठी ।। अली बिकल वियोगिन की तापन तवाई मैं । उदा० सोच भयो सुरनायक के जब दूसरि बार -ठाकुर लियौ हरि झौंको। - नरोत्तमदास झौल-संज्ञा, पु० [हिं० झिल्ली] झिल्ली जिसमें झोड़ना-क्रि० स० [हिं० झौंर] फैलना, छाना । बच्चे या अंडे रहते हैं, गर्भ, अंडा । उदा० बीर नरप्पति के भुजदंड अखंड पराक्रम उदा. कहै कवि गंग उड़े झिल्ली झोल झांसिन मंडप झौंडी। में बासन अरुझि लील गोय भटकत है, -केशव -गंग झोर-संज्ञा, पु० [हिं० झपट] १. झपट, दबाने टंक-संज्ञा, पु० [सं०] १. एक तौल जो चार | टटकार-संज्ञा, पु० [हिं० टोटका] १. टोटका, माशे की होती है। किंचित, थोड़ा [वि.]। टोना २. तत्काल, शीघ्र, तत्क्षण। उदा० १. छीरधि मैं पंक, कलानिधि मैं कलंक, | उदा० १. लाल रहौ चुप लागिहै डीठि सु जाके यात रूप एकटक ये लहैं न तव जसके। कहूँ उर बात न भेटी । टोकत ही टटकार -- भूषण लगी रसखानि भई मनी कारिख पेटी । टंच-संज्ञा, स्त्री० [हिं० टांकना] सिलाई । रसखानि उदा० नैन मुदै पै न फेर फितूर को टंच न टोम टटकी-वि० [देश॰] तुरन्त की. ताजी।। ___कछू छियना हे । - पद्माकर उदा० टटकी धोई धोवती चटकीली मूख जोति । टकोर-संज्ञा, स्त्री [सं. टंकार] साधारण चोट, फिरति रसोई के बगर जगर मगर दुति सामान्य प्राघात, ठेठा होति ॥ उदा० टप्पे की टकोर टक्करन की तड़ातड़ित -- बिहारी माचे जब कूरम करिदों की लड़ालड़ी। | टटल बटल-- वि० [अनु॰] ऊटपटांग अंडबंड, -पद्माकर निरर्थक टगर-संज्ञा, पु० [हिं० टुकुर] किसी वस्तु को उदा० टटल बटल बोल पाटल कपोल देव दीपति गौर से देखना, टकटकी बाँधने की क्रिया । पटल मैं अटल ह्व के अटक्यो । उदा० सोभा सदन बदन मोहन को देखि जीजिये टगर टगर। -घनानंद | टटोहना-क्रि० स० [हिं० टटोलना] जांच टट-अव्य० [सं० तट] तट, निकट, समीप । करना, परखना, देखना । उदा० पटकावे मनु सु नटावै तनु टट प्रावै, | उदा० जोहति कंचुको पोहति माल, टटोहति है हटक्यों न रहै हारी निपट हटकि कै। -पालम For Private and Personal Use Only
SR No.020608
Book TitleRitikavya Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorilal
PublisherSmruti Prakashan
Publication Year1976
Total Pages256
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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