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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (५८) वि० सूत्र फ़र्ज़ करो कि अबस एक विभुज है तो उसकी हर दो भुज मिलकर तीसरी से बड़ी होंगी यानी अब और अस मिलकर बस से और अब और व स मिलकर अस से और स अ मिलकर अब से बड़ी होंगी अं० व अ को किसी द बिंन्दु तक बढ़ाओ अ द बराबर अ स के बनाओ और दस मिलाओ बस और For Private and Personal Use Only द स उप० चूंकि अद बराबर अ स के बनाई गयी है इसलिये अ स द कोन बराबर है अट् स कोन के सा०५ लेकिन सद् कोन अ स द कोन से बड़ा है. ख० ट 4 अवा० २ सा० ३ अवा० १ इस लिले व स द कोन अ ट् स कोन से भी बड़ा है चूंकि द ब स विभुज में बस द कोन बड़ा है ब द स कोन से और बड़े कोन के सामने की भुज बड़ी होती है सा० १८ इसलिये ब द बड़ी व स से लेकिन व द बराबर है व और अ स के क्योंकि अद अ बराबर है अस के इसलिये व अ और अस मिलकर बड़ी हैं बस इसी तरह यह भी साबित होता है कि अब और बस मिलकर च स से और व स और स अ मिलकर अब बड़ी है से फल इसलिये त्रिभुज की हर दो भुज मिलकर आद्योपान्त यही साबित करना या
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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