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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४८) हो तरफ़ में हों तो ज बिंदु स पर पड़ेगा और य बिंदु अबिंदु पर और य फ भी अफ पर पड़ेगी अगर य फ रेखा अब रेखा पर न पड़े मगर किसी और जगह पर अक की तरह हो तो ह य फ कोन दशक कोन के बराबर होगा और फ य ज कोन क अ स कोन के बराबर होगा लेकिन हय फ कोन और फ य ज कोन बभूजिब फज़ के ग्रापस में बराबर है इसलिये द अक और क अस कोन आपसमें बराबर है लेकिन द अब और ब अस कोन भौ बमूजिद फज़ के ग्रापसमें बराबर हैं और स अब कोन स अ क कोन से बड़ा है इसलिये द अब कोन स अ क कोन से बड़ा है और इसलिये द अक कोन स अ क कोन से और भी ज़ियादा बड़ा है लेकिन यह साबित हो चुका है कि द अक कोन स अक कोन के बराबर है इसलिये द अक कोन स अ क कोन के बराबर और उससे बड़ा भी है और यह माफ़ झूट बात है इमलिये य फ रेखा अब रेखा पर पड़ती है और इसलिये फ य ज और ब अ स कोन यापसमें एक दूसरे को पूरा ८क लेते हैं और इसलिये आपस में बरावर हैं साध्य १५ प्रमेयोपपाद्य सा० सत्र- अगर दो सीधी रेखा आपस में एक दूसरी को काटें तो सन्मख कोन आपसमें बराबर होंगे वि० सत्र- फ़ज़ करो कि अब और स द दो सीधी रेखा य बिंदु पर एक दूसरी को काटती हैं तो अयस कोन बराबर होगा दयब कोन श्रा के और अयद कोन बराबर होगा सयब कोन के उप० चूंकि अय रेखा सद रेखा के साथ य बिंदु पर सयअ पौर अ य द आसन्न कोन बनाती है यह दोनों कोन मिलके दो समकीन के बराबर हैं सा० १३ फिर चूंकि द य रेखा अब रेखा के साथ य बिंदु पर ब यद पौर दय अ आसन्न कोन बनाती है यह दोनों कोन मिलकर दो समकोन के बराबर हैं सा० १३ लेकिन यह साबित हो चुका है कि सयअ और अयद कोन मलकर दो समकान के बराबर हैं For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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