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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १८४ ) बरावर हैं क्योंकि हर एक बराबर है बस के इसलिये लम, मन, नख, ख ल और अस यापस में बराबर है इसलिये मख समकोन चतुर्भुज अस परका वर्ग है लेकिन यह सावित होचुका है कि अल, जह, हक और कब सम्मकोन चतुर्भुज मिलकर वरावर हैं अब और बस के चौगुने धरातल के इसलिये अल, जह हक, कब और मख यांचों ससकोन चतुर्भुज मिलकर बराबर हैं अब और बस के चौगुने धरातल के और अस परके वर्ग के लेकिन यह पांचों समकोन चतुर्भुज मिलकर अयफ द को जो अद परका वर्ग है बनाते हैं इसलिये अब और बस के धरातल का चौगुना चौर अस परका वर्ग मिलकर बराबर है अद परके वर्ग के यानी उस रेखा परके वर्ग के जो अब और बस से बनती है टि. २ आठौं साध्यका तीसरा सुबूत बाट है .........म. व ट को दलका उत्तम माया कि बद बराबर हो बस के कि अब और ब द के धरातल का दूना और अब और वद परक वर्ग मिलकर बराबर है अह घरको वर्ग के ( २-सा०४ ) लेकिन ब द बराबर है बस से इसलिये सब और बस के धरातल का दूना और अब और बराबर मग मिलकार बराबर में अद परकेबर्ग के लेकिन अब और बस परके वर्ग मिल कर बराबर हैं अब और बस के धरातल के टूने और अस परक वर्ग के (२-०७) इतलिये अब कौर बस के धरातल का चौगुना और अस परका कई मिलबार बराबर में अद परको वा वानी उस रेखा परके वर्ग के जो अब और ब स से बनी है टि० ३- नगर अब और ब स जुदी २ रेखा खयाल की गलिो इन साध्य का दावा इस तरह बयान होनता है कि दो रेखायों के योग परका वर्ग उनके अंतर परक वा से बकदर उनकी धरातल के चौगुने के जिया. दा होता है बीजगणितीय साधन फ़ज़ करो कि अब रेखा लम्बाई में अ पैमाने और उस के अस और स बहिर लम्बाई में कम से भ और न पैमाने है तो अ-स+न इन दोनों बराबरों में से हरएक में से न निकाला इस लिवे स-अ-न इन दोनों बराबरों का वर्ग किया For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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