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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ११२ ) तो चूंकि अत्र सद समानांतर चतुर्भुज है इसलिये =प्रद बराबर है बस के और इसी वजह से यफ बराबर है बस के सा० ३४ इसलिये म द बराबर है य फ के और द य उभयनिष्ट है इसलिये कुल या बाकी अ य बराबर है कुल या बाकी द फ के रु० २ या ३ स्व ० १ और अब बराबर है दस के अब त्रिभुज य अब और फदस में चूंकि फद बराबर है य अ के और दस बराबर है अब के सा० ३४ और बहिःकोन फद से बराबर है अपने सामने के य प्रव अन्तःकोन के For Private and Personal Use Only सा० २८ इसलिये त्रिभुज फदस बराबर है त्रिभुज यव के चतुर्भुज प्रसफ में से त्रिभुज फदस निकाल डाला और उसी चतुर्भुज में से त्रिभुज य प्रव निकाल डाला तो जो क्षेत्र बाकी रहेंगे आपस में बराबर होंगे इसलिये समानांतर चतुर्भुज बसद बराबर है समानां - ख० ३ तर चतुर्भुज य ब स फ के फल इसलिये समानांतर चतुर्भुज जो एकही आधार पर श्राबोपांत - यही साबित करना था टि १ इस माध्य का दावा इस तरह भी बयान होमक्ता है कि समा नांतर चतुर्दन जो एकही व्याधार पर होते हैं, और जिनकी उ चई एक ही है बराबर होते है
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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