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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १०३ ) (अब और स द का आपस में समानान्तर होना अस और ब द का आपस में बराबर होना (अव और स द का आपस में समानान्तर होना ब अस और स द व कोनों का आपस में बराबर होना (अब और स द का आपस में समानान्तर होना अब द और द स अ कोनों का आपस में बराबर होना (अब और स द का आपस में समानान्तर होना ६) बस का अद को दो बराबर हिस्सों में बांटना (अव और स द का आपस में समानान्तर होना अद का व स को दो बराबर हिस्सों में बांटना (अव और स द का आपस में समानान्तर होना । अद से चतुर्भुज क्षेत्र अब स द के धरातल का दो बरा बर हिस्सों में बांटना अव और स द का आपस में समानान्तर होना व स से चतुर्मुज क्षेत्र अव स द के धरातल का दी बराबर हिस्सों में बांटना अस और व द का आपस में समानान्तर होना अव और स द का आपस में बराबर होना (अस और वद का आपस में समानान्तर होना अस और व द का आपस में बराबर होना (अस और व द का आपस में समानान्तर होना व अस और स द व कोनों का आपस में बराबर होना (अस और व द का आपस में समानान्तर होना अवद और द स अ कोनों का आपस में बराबर होना For Private and Personal Use Only
SR No.020605
Book TitleRekhaganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Babu
PublisherAtmaram Babu
Publication Year1900
Total Pages220
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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