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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गोट गीत-स्त्री० शोध स्त्री० खोज गोतर-२० गोत्र पु० मोह-स्त्री० अंक स्त्री० गोद गोहो - पु० गोधी- ५० साँर पु० घूँसा पु०; ठौंसा मारना गोपपुं० वाला पु० चरवाहा गोर - गोबर पु० गोमो-५०० खड्डा पु० गोमे-५० पुखराज पु• गोर-पुं० पुरोहित पु०; गुरु गोर - वि० संयमी वि० www.kobatirth.org गौ- स्त्री० गाय स्त्री० गौर - वि० गौरवर्णका पु० गोरा ગ્રેસનું-સક્રિ॰ २०४ - स्त्री० गोधूलि स्त्री० गोरीबो - पु० गुरिल्ला पु० गोरु - वि० गौर वर्ण वि० गोरा गोअभाव - वि० गोटाला पु० गड़बड़ गोल हान्न - पुं० गोलेका निशानेबाज पु० गोवानियो-५० ग्वाला पु० चरवाहा गोष्टि-स्त्री० गोष्ठी स्त्री० मसलत गांधव - स०० केंद करना स० क्रि० हिरासत में लेना ૫૯ ० प्रसना स०क्रि० पकदना; खाना ग्रंथि० - स्त्री साँध पु० जोड़; गाँठ 0 ग्रास-पु० कवल पु० कौर -५० खरीददार पु० वि० समझनेवाला Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ધડાધયડી–સ્ત્રી [ ६ ] 1. जमघट पु० भीड़ भड़क्का [घडी घट-पुं० शरीर पु० जिस्म; मन घटभाण- स्त्री० क्रम पु० घटस्ट- पु० निकाल पु० घट०० योग्य होना, लायक बनना; कमी होना अ०क्रि० घटा - स्त्री० समूह पु० जमाव घटाव स०० घटित होना स०क्रि० लागू होना घटित - वि० योग्य वि० लायक़ घटिश-स्त्री० घड़ी भरका समय; २४ मिनट अट्ट-वि० लूड वि० धडपणु-न० वृद्धावस्था स्त्री • बुढ़ापा धडवी - स्त्री० छोटा वि० For Private and Personal Use Only धडवु - स०० बनाना स० क्रि० घड़ना धडायेसु - वि० अनुभवी वि० तुजुर्बेकार वाणु - वि० पुष्कल वि० काफ़ी धन- वि० ठोस वि० संगीन घनघोर - वि० गाढ़ा वि० १० गद्दरा; डरावना धनयॐ२ - वि० अड़ियक्ष खोपडीवाला वि० धभसाणु - १० विनाश पु० बर्बादी; टोला; धर्म - ५० अहंकार पु० घमंड धर डूडी - वि० घर घुस्सू वि०
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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