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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माहाशी२० ] २४ આપે सहज ही माहाशाशी-स्त्री० श्राधा सर दर्द करने मानानी-स्त्री.हाँ ना स्त्री हीलाहवाला वाला रोग पु० मानी-स्त्री० एक पाना पु० इकन्नी माह-वि० प्रथम पु. पहला; खास सानुल्य-न० अनुकूल ता स्त्री. साहित्य-धु० सूर्य पु० आफ़ताब মুক্তি माहेश-४० श्राज्ञा स्त्री० हुक्म मानुषा-१० सहवर्ती पु० साथी माध-वि० प्रथम पु० पहला साना-पु. एक पाना पु. इकन्नी आध-वि० अर्द्ध पु० आधा 22-जीक्षिा -स्त्री. आत्मविद्या स्त्री. साप-10 अनाज को पकाने के लिए या५-५० जल पु० आब: अनाया; चूल्हे पर चढ़ाया हुआ पानी पु० माधान-१० रखना पु० १ ५मुह-२० एकाधिकारी पु. माधा२-० आश्रय पु० सहारामाभतभी-वि० स्वार्थी पु. खुदमाधि-घु० स्त्री. मानसिक पीडा स्त्री० गरज माधिय-न० अधिकता स्त्री. जिया. यापामा५-१० स्वयं अ• खुद: दापन आधिपत्य-10 अधिकार पु० कब्जा ! २५१५२५-श्री० नदी स्त्री० दरिया आधीन-५० वशीभूत पु. कब्जे में आप-पुं० चौहट पु० बाजार आपल्य-(२) मैं और आप अ०हम लोग आधुनि:-१० वर्तमान कालीन पु. 1 २ात . मौजूदा २पत्ति स्त्री० संकट पु० तकलीफ़ मा-वि० प्रौढ़ पु. अधेड़ २५ माध्यामि-१० आत्मा-परमात्मा आप-ने-स्त्री०आदान-प्रदान पु. लेनदेन संबंधी दिक साप-स080 प्रदान करना स० कि आन-१० अन्य पु. गैर, रूहानी देना मान- मृदंग स्त्री० आपसमां--२०१८ परस्पर अ• आपसमें मानन-न० मुख पु० मुँह २॥ ५-२५० इस ओर श्र० इस तरफ मान-. हर्ष पु० खुशी २२Yथा- साहूकार पु. सानाति-१ि० प्रसन्न पु० खुश २५ष-२० जस्ता पु० सानहा-वि. प्रसन्न-चित्त पु. खुशः । आ-!-स्त्री० मंगल-कुशल पूछना पु. मिजाज सापा-पिता पु० अब्बा For Private and Personal Use Only
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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