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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१४ ७६ भिया सुट भुन मा Q2 2-4दा ओडे पली पली और राम उघारे कुप्पा ७७ मुममा राम मा छुरी-बगल में छुरी मुखमें राब ७८ भुवानी भ२७ सुधी-मुल्लाकी दौड़ मस्जिद तक ७८ २४ र २ बातका बतंगड़ बनाना ८. रामराम अपना पराया भास अपना--रामराम जपना पराया माल अपना ८१ सानु म ८५८५तु:--प्राम खानेसे काम पेड़ गिनने से क्या ८२ साताना भूत पाताथा न माने-लातोंके देव बातों से नहीं मानते ८3 वरने ! मारे १२नी भा-अपना पूत सपहीको प्यारा . ८४ वाताथा ३४ पेट न राय--बातोंसे पेट नहीं भरता ८५ सास त्या सुधा शोष--जबतक सांस तबतक भास ८६ सु। मेला ५ मने --गेहूँ के साप धुन मी पीसता है ८७ १२५ साम धुण नांपेमेनी मामा ५3-आसमानका थुका मुँहपर पड़ता है ८८ से १२ भारीत मिली 61 १२५॥ यात्री- नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज करने ८८ सोनारना से ने सुखारने मे ---महगा रोवे एकवार सस्ता रोवे बारबार ४० सौ साई' रेनु छे१८ सा३'-- अंत भला सो सब भला ८१ ग सोडी पाहानु'--गरीबकी जोरू सबकी भाभी ४२ राय याटवाथा भूप न माग--प्रोस चाटे प्यास नहीं बुझती ४ सयम राखमा भी हवेली तां शुभरात माछ-आधी छोड़ सारीको धाबे, आधी रहे न सारी प.वे For Private and Personal Use Only
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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