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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir કહેવત १ मा स-अक्ल बसी कि मैंस २ अति सोम ते पानु' भूग--लालच बुरी बना 3 अधुरे ५। ५५ ७१४ाय--योषा चना बाजे घना ४ मत मानु म थाय--कर भला हो मला ५ आ५ म त सा--पार भला तो जाा भला । भा५ भुवा पछी १०५ ४ दुनिया-आप मरै जग परलय होय ७ आमुसता 'सुगयु--चौबे गये छब्बे होने दबे होकर आये ८ ताणु' से मा५३--उतावला सो पावला ने मोटे म॥- ऊँट के मुँह में जीरा १. में सभी ना कुमा3--एक मछली सारे जल को बिगाडे 11मे गाडीना --एक ही थैली के पट्टे-बट्टे १२ मे ५५ २ मे --एक पंथ दो काज 13 मे भ्यानमा मे तमा न समाय--एक म्यान में दो तलवार नहीं पाती १४ मे पान से हवा--एक परहेज सौ इलाज १५ मे हाथी तगा नया ५४ती--एक हाथ से ताली नहीं बजती 18 मेनु' भनि मेनु पास-प्रापका जता आएका सर १७ अगनी वाघ ४२वा--राई का पर्वत बनाना १८ थी भारी यांय । समायी--कानी के व्याह को सौ जोखम १. म आमने साम-काम कारीगर बनाता है। २. म यो २ डिसा५ रोम--खरी मजूरी चोखा काम २१ मा माई ने भान मांग-गुरु खाना गुलगुल्ले से परहेज २२ पाने या न ६२५ मोडा---अशर्फियां लुटें कोयलों पर मुहर २३ १२०१ सरी वैध ३३१--गरजी यार किसके दम लगाया खिसके २४ १२० भडाने ५५५ । । ५--जरूरत के वक्त गधे को मी वाप बनाना पड़ता है २.५ गरीमनु नसीम सय गरी-गरीबी में बाटा गीला For Private and Personal Use Only
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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