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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir " समन२४] [२२५ अमन-वि. विचार रहित पु. अभुत-१० निर्मुक्त पु० बँधा हुआ बेखयाल भभुआ-१०० अाकुल-व्याकुल अममता-स्त्री. निर्मोह पु. होना अ० कि०, जी घबराना अमर-२० अमर्त्य पु० अभा-वि० चतुर पु. समझदार समरा-स्त्री० आम्रवन पु० अभूति -वि० सावधान पु० सचेत अमरीयमरी-स्त्री. शीशफूल पु० अभूत-वि० श्राकारविहीन पु० बिना अभया-पि. निरंकुश पु०बेकाबू; बेहद शक्ल का अमर-४० सत्ता स्त्री० हुकूमत; निर्मल समस्य-वि० बहुमूल्य पु० बेशकीमत अभाविन-वि० शुद्ध पु. पाक अनन-स्त्री० मिचलाहट स्त्री० समस्तु-वि० अकर्मण्य पु. बेकार घबराहट अभ-वि० निर्मल पु० साफ अमृत-१० अमृत पु० भाबेहयात भणा-१०० बल पैदा होना भाव-वि० अचूक पु० अक्सीर अ.क्रि. अभा-स्त्री० माता स्त्री. अम्मा 24मरत-वि० अशुभ पु. अन्न-वि० खट्टा पु. समात्य-५० प्रधान मंत्री पु. सम्मान-वि० न मुआया हुआ वि. वजीरेखास | भय-10 लौह-खंड पु. समान-१० असम्मान पु० बेइज्जत अयथार्थ-१ि० अवास्तविक पु. नकली अमानुप-वि० देवी पु. अयन-10 प्रयाण पु० कूच भभा५-वि० अपार पु० बेहद्द । अयायित-१ि० बिनाँगा पु. समास-स्त्री. अमावस्या स्त्री अयुत-वि० अयोग्य पु. नाकाबिल अमित-वि० अपरिमित पु. बेशुमार भयोय-वि. अनुपयुक्त पु. नाकाबिल अमिश्रित-५० शुद्ध पु. खालिस | अयोनि-वि० स्वयंभू पु. सभी-10-अमृत पु० आबेहयात; लार १२३, ४-५० सत्त्व पु. सार भरत-वि० अनासक्त पु. सभीट-१० निनिमेष पु. एकटक असने- अरगज। पु. एक उबटन अभीन-२० विश्वासी पु. यकीनी १२५४ (४)-४० रहँट पु० सभी२-० धनी सरदार पु० उमराव अ२५-२० ६० पूजा-अर्चना स्त्री. अमु-वि० अमुक वि० फला इबादत For Private and Personal Use Only
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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