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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૧૯૦ [ સત્કાર शामा-स्त्री० सौदर्य पु०; प्रतिष्ठा स्त्री० सम-२० फबेच्छु पु० नतीना वाहने शार- ध्वनि स्त्री तेज अवाज __ वाला शोष-पु. प्यास सस-कि० कठोर पु० शख्त शोय-१० स्वच्छता स्त्री० सफाई सभावत-स्त्री० दान पु० शोष-न शूरता स्त्री० बहादुरी समय-स्त्री० अनुकूलता बी० मुा. श्याम-वि० कृष्ण पु. काला फक श्रा-स्त्री. विश्वास पु. यकीन समीर-वि० अल्पायु पु० कम उम्र श्रम- परिश्रम पु. मेहनत सवणु-वि० समस्त पु० तमाम श्रण-1• सुनना सचिव-पुं० प्रधान मंत्री पु० वजीरे श्रांत-वि. विश्रान्त पु. थका हुप्रा खास श्री-श्री लक्ष्मी स्त्री० सयो-वि० अचूक पु. श्रीमान-वि० धनवान पु० दौलतमन्द Hars-वि० दृढ़ पु० मजबूत श्रुति-स्त्री. सुनी हुई पात स्त्री०; वेद | सपनी-स्त्री. मुखी स्त्री० सहेली श्रीगु-खी. कोटि स्त्री० दर्जा सर-स०. श्रृंगार करना स०कि० श्रेय-10 कल्याण पु० सज-श्री० दण्ड पु० सजा श्रेष्ठ-वि० सर्वोत्तम पु० -वि० जीवित वि० जिन्दा श्रोता-पु. सुननेवाला पु० सन-पु. शिष्ट पुरुष पु. शरीफ श्वान-पु. कुत्ता पु. आदमी श्वेत-वि. शुम्र पु० सफेद सर-स. शीघ्र अ० एकदम स८२५४२-वि. अव्यवस्थित पु० बे बन्दोबस्त १४-वि० छै वि. सडे-पुं० बिगाड़ पु० बर्बादी पड्य-10 जाल सत-वि० सच्च। पु० न० सत्य घोडश-वि. सोलह वि० सतत-वि. निरन्तर पु. लगातार (स) सती-स्त्री० पतिव्रता स्त्री० पाकदामन सभा-वि. भाग्यशाली पु० नशीबदार सतु-वि० सच्वा पु० सण-वि. समस्त पु० तमाम सम-न० सुकर्म पु. सन-पु. पेंच पु० शिकंजा सर-पुस्वागत पु. २३.२४ For Private and Personal Use Only
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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