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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मर] १७७ [ भा' भर-वि० स्वीकार वि० कबूलमाया-पि. प्रपंची पु० भ७५-० चन्दोवा पु० शामियाना | भाया-वि० स्नेहसिक्त पु० दोस्त भयन-10 मथना पु० मिजाज मह-वि० धीमा पु० धीरे भारत-स्त्री० दलाली स्री०, द्वारा माइ-पु० बिमारी स्त्री. भारीतारा-स्त्री. तूं तडाक पु० गाली महा-स्त्री. भाव में गिरावट स्त्री० गलौज भाग-श्री. मालकी मांग स्त्री० खपत भा३त- पवन पु. हवा भार-वि० मरहम, अतीतके भाग- पथ पु० रास्ता; मत भाजी-स्त्री. मर्यादा स्त्री॰ हद भास-पु० सामग्री स्त्री० सामान; बिसात भाई-१० बुरा पु० खराब भाबहार-१० धनी पु. दौलतमन्द भाडी-स्त्री. माता स्त्री० अम्मा मानि-पु. परमात्मा पु० खुदा; दूकाभाय-स्त्री. पानीका वर्तन नका सेठ भार-स०लि. भोगना मालिश-स्त्री० तैल-मर्दन पु० भात५२-वि० सम्मान्य वि० इज्जतदार भालेर-१ि० अत्यन्त धनाढ्य पु० मातभ-पु. हाथी पु० पील दौलतमन्द भाधुरी-स्त्री. माधुर्य पु० मिठास भारत-स्त्री. स्त्री० बर्दास्त; सार. भान-२० सम्मान पु० आबरू संभाल भान५-४० मनुष्य पु० आदमी भावत२-न. मा-बाप पु० भान-स०० मानना सक्रि• कबूली माधु-स०६० समाना स०कि. ___करना मा-स्त्री. प्रेमिका स्त्री० भानस-न० मन सम्बन्धी पु० माहितगार-वि० परिचित पु. भानी-१० अहंकारी पु० घमंडी भाय।-इंची बैठक स्त्री० भा५५-१० अनुकूल वि. मुश्राफिक मा३-वि० भूरी प्रांखवाला भाधी-स्त्री. क्षमा स्त्री० मुग्राफी भान-पुः सूती हुई पतंगकी डोर स्त्री. भारत-स्त्री. पूँजी स्त्री० दौलत मामां-१० ज्यों त्यों करके माय -वि० निल मांडवा-स्त्री० समाधान पु० भायना-० हेतु पु० कारण मा-स०. प्रारंभ करना स०कि. भाया-स्त्री. धन पु. दौलतः स्नेह प्रपंच शुरू करना, लिखना २१.२२ For Private and Personal Use Only
SR No.020601
Book TitleRashtrabhasha Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSahityaratna
PublisherVora and Company Publishers Limited
Publication Year1950
Total Pages221
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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