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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राजविद्या ) [ १०३ ] यह है उत्तम जनको अपणी बात का सच्चा होना चाहिये || अपणी प्रतिज्ञा ( कोल) धर्म के साथ निबाहना | दान || अभय ( डरना ) नहीं शर्ल स्वभाव || इन्द्रियों अपनें बश में दबाइ खना अहार के सिवाय प्राणियों पर दया रखना। (भूखा होतो आहार के सिवाय वृथा न मारना) वापलतान रखना || नरमी रखना || धर्मने तत्पर ( तैयार ) रहना || सुपात्र को दान देनेमें उत्साह रखना !! लज्जा | द्रोह न रखना || सच्चा शूरवीर होना धीरज रखना || बुरे नीच कामों का त्याग करना || अच्छे पारमार्थिक कामों में तेजी रखना ॥ मेहनत के साथ काम करना शान्ति रखना । कुटिलता न रखना | स्वार्थ के त्याग करन में ( छोड़ने में ) उत्साह रखना || क्षमा रखना || क्रोध न करना । पारमार्थिक वृद्धि रखना || ज्ञान योग्य में स्थिति रखना || परोप कार करना || अपने देश की सेवा करना (सच्चा देश भक्त होना || निरपरधि का (हिंसा ( मारना For Private And Personal Use Only
SR No.020594
Book TitleRajvidya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalbramhachari Yogiraj
PublisherBalbramhachari Yogiraj
Publication Year1930
Total Pages308
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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