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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वमिः ४०९ वयस्थः — युवनामानि वयस्था ५१ वयस्था ४२९, ४४० वयस्था — काकोली वयस्था -- क्षीरकाकोली वयस्था--- गुडूची वयस्था ब्राह्मी वयस्था--- मध्यमा वयस्था - हरीतकी वरकः—प्रियङ्गुः वरकः - वासन्ताः वरटा - हंसः वरणी - अरणी वरतरुः -- भल्लातकः वरतिक्तका - पाठा वरतिक्त:-कुटजः वरतिक्तः --- निम्बः वरतिक्तः—पर्पटः वरतिक्ता-पाठा वरत्वचः – किराततिक्तः वरदा – सुवर्चला वरला - हंसः वरवर्णिनी-स्त्री वरवर्णिनी - हरिद्रा वरम्— आर्द्रकम् वरम् — कुङ्कुमम् वरम् त्वक् वरः-भर्ता वरः -- लवणः वरा - अवनी वरा - काकमाची वरा—गङ्गा वरा - गुडूची वरा--गुड़ची वराङ्गम् ४२८ वराङ्गम् — उपस्थम् वराङ्गम् -- त्वक् वराङ्गम् — शिरः www.kobatirth.org वर्णानुक्रमणिका | वराङ्गी - अरणी वराङ्गी— हरिद्रा |वराट: कपर्दिका वराटिका - कपर्दिका वरा- पाठा वरा- पाठा वरा— ब्राह्मी वरा—मेदा | वराम्ल : - बीजपूर्ण: | वरारुहः - बिल्वः | वरारोहघुघुरागः -- पारावतः वरारोहा—स्त्री | वरा-वन्ध्यकर्कोटकी वरा - विडङ्गा वरा—सुरा वराहकन्दः – गृष्टिः | वराहकर्णी - अश्वगन्धा | वराहकः मत्स्यः | वराहकः --- शिशुकः | वराहपत्री - अश्वगन्धा वरा— हरिद्रा वराहम् — हीरकम् वराहः ४३० | वराहः – मुस्ता वराहः — सूकरः वराहिका — अश्वगन्धा वराहिका - कपिकच्छूः वराही ४३२, ४३३,४३९ वराही — गृष्टिः | वराही - मुस्ता वरिष्ठः -- नारङ्गः वरीयसी - शतावरी वरी - शतावरी | वरुणम् - जीरकम् वरुणः १९३ | वरुणात्मजा — सुरा | वरेण्यम् — कुङ्कुमम् वरोहशाखी— लक्षः वर्चः -- भार्गी For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वर्ज्यविषाणि ३१४ वर्णदात्री -हरिद्रा वर्णपुष्पी -उष्ट्रकाण्डी वर्णपूरक:- शालि : वर्णप्रसादनम् - काष्ठागरु | वर्णभेदिनी - प्रियङ्गुः "} " | वर्णवती -हरिद्रा | वर्णविलासिनी - हरिद्रा | वर्णशाकाङ्क :---गौर सुवर्णम् वर्णार्हः - वासन्ताः वर्णिनी-हरिद्रा "" "" वर्ण्यपुष्पकः -- तरणी | वर्तकम् — वर्तलोहम् वर्तकः २९८ | वर्तका - विष्किराः वर्तकी ४२६ | वर्ततीक्ष्णम्-वर्तलोहम् | वर्तमानः — कालत्रयम् वर्तलोहम् २११ | वर्तवर्तिकावर्तकः | वर्तिकः वर्तकः | वर्तिका - अजशृङ्गी | वर्तिः वर्तकः १२५ | वर्तिष्यमाणम् — कालत्रयम् | वतर:- विष्किरः वर्तुलम् — टङ्कणः वर्तुलः – कलायः वर्तुलः –—–—गुण्ठः | वर्तुली—श्रेयसी वर्तुलोहम्—वर्तलोहम् | वर्त्स्यत् — कालत्रयम् | वर्धमानः --- एरण्डः | वर्धमाना — मधुकर्कटी वर्मकण्टकः-पर्पट: वर्य :- कपर्दिका वर्याजनम् -- रसाञ्जनम् | वर्षकालः -- वर्षा :
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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