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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८४ धन्वन्तरीयनिघण्टुराजनिघण्टुस्थशब्दाना पुण्डर्यम् --प्रपौण्डरीकम् पुनर्भवाः--नखम् पुण्डर्यः--प्रपौण्डरकिम् पुनर्वसू-वंशः पुण्डकः ४२९ पुन्नागः---तुङ्गम् पुण्डकः--अतिमुक्तः पुन्नाटः-चक्रमर्दः पुण्डकः इक्षुः पुग्नाड:-चक्रमर्दः पुण्डकः-तिलकः पुपालादि ३८९ पुण्ड:--इक्षुः पुमान्-आत्मा पुण्डः-तिलकः पुमान्-'नागः पुण्ड:-प्पक्षः पुमान् मानुषः पुण्डेक्षः ४२८ पुरमथनवल्लभम्-दाहागरु | पुण्यतृणः--मृदुदर्भः पुरम् ४२६ पुण्यदर्शन:--खअरीटः पुरम्-दाहा पुण्या-अश्वगन्धा पुरंध्री-स्त्री पुण्या--गङ्गा पुरम्-शरीरम् पुत्तिरसा-राष्णा पुरः-गुग्गुलु: पुत्रकन्दा-लक्ष्मणा पुरः--पूर्वा दिक् पुत्रजीवकः ४३६ पुराणघृतम् २३८ पुत्रजीवः ३६६ पुरासिनी-महाबला पुत्रदा ३३७ पुरीतत्-अत्रम् पुत्रदा ४३० पुरीषम्म लम् पुत्रदात्री ३३३ पुरुषदन्तिका-मेदा पुत्रदात्री ४२९ पुरुषः-पुंनाग: पुत्रदात्री-वन्ध्यकर्कोटकीपुरुषः—मानषः पुत्रदा---लक्ष्मणा पुरुषः—मोरटः पुत्रदा-सर्पतनुः पुलकम्-कङ्कुष्ठम् पुत्रभद्रा-बृहजीवन्ती पुलका–योधा पुत्रशृङ्गी-द्रवन्ती पुलकी-कदम्बः पुत्रश्रेणी--अजशृङ्गी पुलङ्गः--मत्स्यः पुत्रश्रेणी-आखुकर्णी पुष्करजटा-मूलम् पुत्रश्रेणी--द्रवन्ती पुष्करजम्-मूलम् पुत्रम् ४३६ पुष्करनाडी-पद्मचारिणी पुद्गल:---आत्मा पुष्करपर्णिका-पद्मचारिणी पुनर्नवः--क्रूरः पुष्करमूलम् ४३७,४३९ पुनर्नवः--शालिपर्णी पुष्करमूलम्-मूलम् पुनर्नवा ६२ पुष्करशिफा-मूलम् पुनर्नवा ४२७,४२९,४३० पुष्करसागरम्-३वासारिः पुनर्नवा-क्रुरः पुष्करम् ४२५ पुनर्नवा-नीलपुनर्नवा पुष्करम् ४२८,४३७ पुनर्नवाः-नखम् पुष्करम्-कमलम् पुष्करम्-पानीयम् पुष्करम्-मूलम् पुष्करम् रक्तपद्मम् पुष्करः-पुष्करम् पुष्कराड्वयम् मूलम् पुष्करिणी-पद्मचारिणी पुष्करी-हस्ती पुष्टिदम् -- बृहणादिनामानि पुष्टिदा-अश्वगन्धा पुष्टिदा-ऋद्धिः पुष्पक:-तिलकः पुष्पकासीसम् ११९ पुष्पकासीसम् ४२९ पुष्पकेतुः-पुष्पाञ्जनम् पुष्पगन्धः-जूर्णा पुष्पगन्धा-यूथिका पुष्पजः-पुष्पद्रवः पुष्पजाती-वासन्ती पुष्पदूर्वम्-कासीसम् पुष्पद्रवः ३७२ पुष्पनिर्यासकः--पुष्पद्रवः पुष्पन्धयः-भ्रमरः पुष्पफलम् ४३८ पुष्पभेदकः ४२८ पुष्पमञ्जरिका-इन्दीवरी पुष्पमासः–वसन्तः पुष्परसम्-मधु पुष्परसः ४३८ पुष्परसः-मकरन्दः पुष्परसाह्वयम्-मकरन्दः पुष्परसाह्वयम् -मधु पुष्परागः ३७८ पुष्पलोलुपः-भ्रमरः पुष्पविशेषः ४२६ पुष्पशन्यः-उदुम्बरः पुष्पसारः-पुष्पद्रवः पुष्पसौरभा—कलिकारी पुष्पस्वेदः-पुष्पद्रवः पुष्पम्-कुसुमम् For Private and Personal Use Only
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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