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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १८ कदम्बः ४२७,४३१,४३९ कदम्ब:-बलभद्रः कदली-काष्टकदली कदली - सकृत्फला कधि :- पानीयम् कनकक्षीरी - सर्वक्षीरी कनकप्रभा -- तेजस्विनी कनकप्रभा - यूथिका कनकप्रसवा - केतकीद्वयम् कनकरम्भा — सुवर्णकदली कनकरसम् — हरितालम् कनकलोद्भवः--राला कनकस्तम्भा - सुवर्णकदली कनकम् ४३१ कनकम् - नागपुष्पम् कनकम् – सुवर्णम् कदम्बः शततारका ३९८ कदम्ब:-- सिन्धुपुष्पम् कदम्बा -- जीमृतकः कदर: ४२८ कदली १४८ कदली ४२७,४३१,४४८, ४४८ कन्दलता: - कुडहुञ्ची कनक:---- कणगुग्गुलुः कनक. –– कासमर्दः कनकः --तृणिः धन्वन्तरीयनिघण्टुराजनिघण्टुस्थशब्दानां कनकः -- धत्तुरः कनकारक :— कोविदार: कनकाङ्क्षयः — धत्तूरः कनकाङ्क्षम् - नागपुष्पम् कनिष्टा - अङ्गुल्यादीनि www.kobatirth.org कनीनिका ३९६ कन्था — कन्धारी कन्यारी ३५८ कन्दग्रन्थी ३४९ कन्दफलम् - कङ्कीलकम् कन्दफला -- विदारिका कन्दबहला-- तिलकन्दः कन्दमूलम् - मलकम् कन्दरः ३२४ कन्दरा—कन्दरः कन्दराल: ४३५ कन्दराल: -- आक्षोड: कन्दरोद्भवा --- चतुष्पत्री कन्दरोहिणी - गुड़ची कन्दर्पजीवः --- कामवृद्धिः | कन्दर्पः – पलाण्डुः कन्दलता-मालाकन्दः कन्दलम् - - आर्द्रकम् कन्दलम् - पद्मबीजम् कन्दली --- पद्मबीजम् कन्दवर्धनः --- अशनिः कन्दवली-वन्ध्यकर्कोटकी कन्दसरण: - अशोघ्नः कन्दम् —गुञ्जनम् कन्दः — अर्शोघ्नः | कन्दः इन्दीवरम् | कन्दः - ऋद्धिः | कन्दः --- विषभेदः कन्दा—गुड़ची कन्दाढ्यः -- धरणीकन्दः | कन्दाद्यः --- धरणीकन्दः कन्दाहः — अर्शोन्नः कन्दालः- तिलकन्दः | कन्दालुः -कासालुः | कन्दालुः -- धरणीकन्दः कन्दी---- अर्शोघ्नः कन्दुः——करवीरः कन्दोत्थम् —-कुमुदम् कन्दोद्भवा-गुड़ची कन्धरा-ग्रीवा कन्धिः --ग्रीवा कन्यका--गृहकन्या 'कन्यका-भद्रेला कन्या ३९५ कन्या ४३०, ४३०, ४३२ कन्या - गुडूची कन्या -- -गृष्टिः Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only कन्या - गृहकन्या कन्या- -भद्रेला कन्या -- -मृदुः कन्या - वन्ध्यकर्कोटकी | कपटम् २२ कपटा-कासनी | कपटेश्वरी ४२२ कपटेश्वरी - कासनी कपटेश्वरी - लक्ष्मणा कपर्द :- कपर्दिका कपर्दिका १३२ | कपालम् -- शरीरास्थ्यादीनि कपालम् शिरः | कपालिनी-रात्रिनामानि | कपाली - विडङ्गा | कपिकच्छुकः ४२९ कपिकच्छूफलोपमा —— जन्तुकारी | कपिकच्छू: ३५ कपिकच्छू: ४२१, ४२६, ४२८ ४३१, ४३५, ४३८, ४४०, ४४० कपिचूत::--आम्रातकः कपिच्छः ४३३ कपिजङ्घिका -- तैलपिपीलिका कापिजः - तुरुष्कः कपिञ्जलकः - विष्किराः कपिञ्जल: ४०६ | कपिञ्जलः– तित्तिरिः कपितैलम् —तुरुष्कः कपित्थकः ४२६, ४२७ कपित्थम् -- एलवालुकम् कपित्थः ९० कपित्थः ४२९,४३७, ४३८ कपिपिप्पली – रक्तपुष्पी कपिप्रियः आम्रातकः | कपिप्रियः कपित्थः | कपिरोमफला — कपिकच्छुः कपिलद्राक्षा— उत्तरापथिका | कपिलशिशपाशिशपा कपिला ४३१ | कपिला - उत्तरापथिका
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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