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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देणियो ( ६२४) देवत-कांसो देणियो-(वि०) देने वाला । देवणियो । पूजा करने वाला। भोजक । २. एक देणारो। प्रल्ल । देणी दे० देताणी। देरी-दे० देर । देणो-(क्रि०) १. देना। प्रदान करना । देरुतो-दे० देवर । २. सौंपना। हवाले करना। ३ प्रहार देव-(न०) १. देवता । देव । २. परमात्मा। करना। (न०) ऋण । कर्जा। करजो। परमेश्वर । ३. एक प्रत्यय जो पुरुष देतारणी-(अव्य०) १. क्रिया विशेषण के नामों के अंत में लगता है । जैसे रामदेव, शुक्रदेव। साथ लगने वाला एक त्वरार्थ सूचक देवऊठणी-इग्यारस-दे० देवठणी-ग्यारस । संपुट । यथा-वो झट देतागी प्राय देवऊठी-दे० देव ऊठणी इग्यारस । गयो । किंवाड़ खट देताणी बंद होगयो। देवकी-(ना०) श्री कृष्ण की माता । २. देने के साथ । देते ही। देताँ-दे० दीधा। देवगत-(ना०) १. देवति । भाग्य । देदार-दे० दीदार । प्रारब्ध । २. देवगति । देवत्व । देव . योनि । ३. मृत्यु । मरण । मौत । देधारण-(न०) १. समुद्र । २. दधि । दधिसागर । ३. बड़ा समुद्र । महोदधि । देवग्य-(न०) ज्योतिषी । देवज्ञ । जोतसी । देवचो-(न०) १. वचन-दान । प्रतिज्ञा । देन-(ना०) १. प्रदत्त वस्तु । २. प्राप्त । २. शपथ। वस्तु । सौगात । ३. ईश्वर, गुरुजनों देवजणी-(ना०) देवदासी । आदि से प्राप्त बड़ी महत्वपूर्ण वस्तु । देवजी-(10) राजस्थान के मेक प्रसिद्ध ४. कर्जा । ५. बाकी रकम । लोक देवता । यह गूजर जाति में विशेष देनदार-दे० देणदार। मान्य हैं । इनका जन्म आसींद (मेवाड़) देनदारी-दे० देणदारी। में माघ सुदि ६ को वि. सं. १३०० में देय-(वि०) १. देने योग्य । देणजोग । २. माना जाता है। दिया जा सके वह । देवजी-रोटो-दे० घणदेवजी रोटो। देर-(ना०) १. विलंब । देर । ढोल । देवजोग-(न०) १. देवयोग । २. संयोग । जेझ । मौड़ो। २. समय । ३. होनहार । देराडी-(ना०) १. एक शकुन चिड़िया । २. देवज्ञ-दे० देवग्य । उलूक जाति की एक रात्रि शकुन चिड़ी। देवभूलगी ग्यारस-(ना०) भादौं सुदि दिवांधिका । भैरव । भैरवी। चीबरी। एकादशी । कोचरी। ३. देव-चिड़ी नाम की एक देवठणीग्यारस-(ना०) देवोत्थनी एकाशकुन चिड़िया। दशी । कार्तिक शुक्ला एकादशी । देराणी-(ना0) पति के छोटे भाई की देवरणो-दे० देणों । पत्नी । देवरानी। देवत-(न०) देवता। देरावणो-दे० दिरावणो। देवत-काँसो-(न0) विवाह आदि मांगलिक देरासर-(न०) १. देव-मंदिर । २. जैन अवसरों पर कुल देवता के निमित्त मंदिर। परोसा जाने वाला भोजन सामग्री का देरासरी-(न०) १. देरासर में नियमित थाल । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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