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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1) पपेड़को थड़णो-(कि०) १. इकट्ठा होना । २. सामने वाला। स्थिति-बहिर । मतिहीन । २. पाकर खड़ा होना । ३. प्रगट होना। अविश्वसनीय । ३. निर्धन । थड़बड़-(ना०) १. लड़ाई । झगड़ा । खड़- थतवाळो-(वि०) सम्पन्न । बड़। २. लड़खड़ाहट। थतहीणो-(वि०) निधन । थड़बड़णो-(क्रि०) १. लड़ना । झगड़ना। थतियो-(क्रि०वि०) निरंतर । स्थायी रूप खड़बड़ना। २. युद्ध करना। ३. लड़- से। रोजीना । थितियो। खड़ाट । थतै-(प्रव्य०) होते हुए। थड़बड़ाट-(ना.) १. लड़ाई । हाथापाई। थतो-(अव्य०) होता हुआ । बनता हुआ । २. बोल चाल । खड़बड़ाहट । ३. लड़- थत्ती-(ना०) किसी वस्तु का करीने से खड़ाना। ___लगाया हुअा ढेर । चिन कर रखी हुई थड़ी-(ना0)१. शिशु का बिना सहारे (पांवों नाज आदि से भरे हुए थैलों की राशि । पर) खड़े होने की स्थिति व क्रिया। थथेड़णो-(क्रि०) मोटा लेप करना।। .. यह । २ थप्पी । ढेर । गंज ढग। थथोबो-(न0)१. दम-दिलासा । तत्तोवो। थड़ो-(न०) १. मृतक के दाह स्थान पर तत्तोथवो । २. झांसा । झूठा आश्वासन । उसके स्मरणार्थ बनाया गया देवल । ३. झूठा भरोसा। देवळी । छतरी । २. श्मशान । ३. ऊँट थथ्थो-(न०) 'थ' वर्ण । थकार । के पलान के नीचे लगी रहने वाली गद्दी। थन-दे० थरण। थण-(न०) १. गाय, मैंस प्रादि का स्तन । थनक-(न0) नाचने का शब्द । थनकधन । २. स्तन । थनक। थणकढ-(वि०) १. थन से निकला । तुरंत थनथन-(अव्य०) नाचने की आवाज । का। ताजा (दूध)। २. धारोष्ण (दूध)। थप-उथप-दे० थाप-उथाप । सड़कट। थपकरणो-(क्रि०) १. शरीर पर हलके हाथ थण-~घणी-(पव्य०)पाणिग्रहण को जाते से ठोंकना । धीरे धीरे ठोंकना । २. पुच. समय दूल्हे का और युद्ध में जाते समय कारना। वीर का, माता का स्तनपान करने की थपकियो-(न०) कुम्हार का वह थपना एक मध्यकालीन प्रथा। (माता अपने जिससे मिट्टी के गीले बरतनों को ठोंक ठोंक दूध की शक्ति और वंश की उज्वलता की कर संवारता है । थपियो। टपलो। स्तनपान करवा कर याद दिलाती है कि थपकी-(ना०) हथेली का हलका आघात । वह उसके दूध को लजायेगा नहीं और थापी। विजय करके ही लौटेगा)। थपणो-(क्रि०) १. स्थापित होना। २. थणाणी-(ना०)१.स्तनों वाली । २. स्त्री। स्थापित करना । ३. निश्चित होना । ४. थरिणयाळो-(ना०) गाय, भैस आदि थन . थपथपाना । वाला मादा पशु । (वि०) स्तनों वाली। थपथपियो-(न०) कुम्हार । थणी-(ना.) १. स्त्री। २. स्तनों वाली। थपथपी-(ना०) थपकी। थत-दे० थित। थपाणो-(क्रि०)स्थापित करना। थत बायरो-दे० पत बाहरो। थपियो-दे० थपकियो । टपलो। थत बाहरो-(वि०) १. अस्थिर स्वभाव थपेड़णो-(कि०) १. थपाना । थपथपाना । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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