SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनरगळ ( ४० ) अनंगार अनरगळ-दे० अनर्गल । अनळधक-(ना०) अग्निज्वाला । अनरथ-~दे० अनर्थ । अनळपंख-दे० अनड़पंख । अनरस-(न०) १. वैमनस्य । शत्रुता २. अनळपंखचर-(न०) हाथी । फूट । मनोमालिन्य । ३. विरसता। अनळपड़-(न०) पर्वत । उदासीनता । ४. शुष्कता। रसहीनता। अनळपुड़-(न०) पर्वत । ५. दुख । रंज । ६. दूसरा रस । अन्य- अनळहक-(अव्य०) एक अरबी वाक्य जिस रस । ७. अन्नरस । का अर्थ-'मैं खुदा हूं है । 'अहं ब्रह्मास्मि' का पर्याय पद। अनरीति-(ना.) १. कुरीति । २. नियम अनळा-दे० अनळा । __विरुद्ध आचरण । अनुचित बरताव । अनरूप--(वि०) १. कुरूप । २. असमान । अनवार-(वि०) दूसरा । (क्रि० वि०) दूसरी बार । (न०) अन्नजल ।। अनर्गल-(वि०) १. अनियंत्रित । बेध अनवी-(वि०) १. नहीं नमने वाला । ड़क । २. व्यर्थ । अंडबंड । ३. ऊटपटांग। वीर । २. अनम्र । ३. हठी । ४. उद्दड । अनर्घ-(वि०) १. बहुमूल्य । २. सस्ता ।। ५. अद्भ त कार्य करने वाला। (न०) अनर्थ--(न0) १. विपरीत अर्थ । अनिष्ट ख्यातों में प्रसिद्ध महारोट (मारोठ, मारकार्य । ३. बिगाड़ । उपद्रव । ४. जुल्म। वाड़) के रावत उद्धरण दहिये की महाअत्याचार । ५. बहुत बुरी बात । ६. वीरता का विशेषण । अवैध रीति से प्राप्त धन । ७. हानि । अनशन-(न०) १. किसी बात के विरोध अनर्थक-(वि०) निरर्थक । व्यर्थ । में किया जानेवाला अन्न त्याग । २. अनअनर्थकारी- (वि०) १. उल्टा अर्थ शन करके किया जाने वाला घरना । ३. अन्नत्याग । ४. उपवास । निराहार निकालनेवाला। २. अनिष्टकारी । ३. व्रत । हानिकारक। अनहद-(वि०) १. सीमा रहित । २. अनल-(न0) अग्नि । बेशुमार । ३. अत्यधिक । अनळ-(ना०) १. अग्नि । २. पवन । अनहदनाद-(न०) १. दोनों कान बंद करने अनिल । के पश्चात् ध्यान मग्न होने पर कानों में अनळकुड-(न०) १. अग्निकुंड । यज्ञ होने वाली ध्वनि । शब्द योग का अनहदकुड । २. आबू पर्वत के वसिष्टाश्रम के नाद । २. समाधिस्थ योगी के ब्रह्मरंध्र तीर्थस्थान का इतिहास-प्रसिद्ध यज्ञकुड, में होने वाला एक संगीत जिससे वह जिसमें वसिष्ट महर्षि ने यज्ञ करके, चार मस्त होकर ब्रह्म में लीन हो जाता है । वीर पुरुषों को क्षत्रीकुल में दीक्षित किया अनाहत-नाद। था, जो अग्निकुलोत्पन्न क्षत्री कहलाते अनंक-(वि०) चिन्ह रहित । हैं । मान्यता ऐसी है कि वसिष्ट ऋषि ने अनंख-(वि०) इच्छा रहित । उन्हें अग्नि में से उत्पन्न किया था, अनंग-(वि0) अंग रहित । (न0) अर्थात् अग्निदेव ने प्रसन्न होकर उन्हें १. कामदेव । २. श्रीकृष्ण का पुत्र उत्पन्न किया था। प्रद्युम्न । अनळझळ-(ना०) अग्निज्वाला । अनंगार-(न०) १. कोयला २. अनंगारि । मनळझाळ-(ना०) अग्निज्वाला । महादेव । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy