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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अषपाव (४) अधरण प्रधपाव-(न०) प्राधे पाव का तौल। अधर-(न०) १. ओंठ। होंठ। २. नीचे (वि०) जो तौल में आधा पाव हो। का होंठ । ३. बिना प्राधार का स्थान अधफर-(न0) १. पर्वत या टीवे का मध्य या वस्तु । ४. आकाश । (वि०) १. न भाग। २. मध्यान्तर । आधी दूरी । इधर का न उधर का। बीच का। ३. आकाश । अंतरिक्ष । ४. मरण-शौच २. बिना आधार का । ३. जो धरती पर वालों के बैठने की चटाई या बिछावन । न हो । ४. लटकता हुआ। (क्रि० वि०) अधप्रस्तर । बीच में। अधबळियो-(वि०) अधजला । अधरज-(ना०) होठों की लाली । अधबिच-(न0) मध्य । बीच । अधबीच। अधरत-(ना०) आधी रात । अध बिचलो-(वि) १. बीच का । अधरतियो- (वि०) १. आधी रात से २. आधी दूरी का। ___ संबंधित । २. आधी रात में सम्पन्न होने अधबीच-(न०) किसी विस्तार या वाला। लम्बाई का मध्य भाग। (क्रि० वि०) अधरपान-(न०) होठों का गहरा चुंबन । बीच में। अधरबंब-(वि०) अधर में लटका हुआ । अधबूढ-(वि०) प्रौढ़ । अधेड़ । (क्रि० वि०) १. न नीचे न ऊपर । २. न अधबेगड़ो-(न०) १. एक हिंसक पशु । इधर न उधर । (वि०) वर्णसंकर । अधरबिंब-(न0) बिम्बफल के समान अधम-(वि०) १. नीच । २. दुष्ट । लाल होंठ । ३. पापी। अधरम-(न०) १. अधर्म । पाप । कुकर्म । अधम-उधारण-(न०) अधमों का उद्धार २. अकर्तव्य कर्म । ३. श्रुति-स्मृति करने वाला । प्रभु । ईश्वर । परमात्मा। विरुद्ध कर्म या पाचरण । अधमण-(न०) आधे मन का तौल। अधरमी-(वि०) अधर्मी। पापी। दुरा (वि०) जो तौल में प्राधा मन हो। चारी । कुकर्मी । अधमणियो-(न0) प्राधे मन का तौल। अधरयरण-(ना०) आधी रात । अधमणीको-(न०) आधे मन का तौल। अधर रस-(न०) १. अधर में से टपकने अधमता-(ना०) नीचता । नीचपरणो। वाला रस । अधरामृत । २. अधर चुंबन अधमरियो-(वि०) १. मृतप्रायः । का आनंद। मृत्यु के पास पहुंचा हुआ। अधमरा। अधरसुधा-दे० अधरामृत । २. अत्यन्त निर्बल । अधमरो। अधराजियो-(न०)१. राजा। अधिराज । अधमरो-दे० प्रघमरियो। २. सामंत । ३. बड़ा जागीरदार । अधमाई-(ना०) १. अधमता । नीचता। ४. प्राधे राज्य का स्वामी। २. कुटिलता । ३. अपवित्रता । अधरारणो-दे० अधवराणो। अधमीच-दे० अधमरियो। अधरात-(ना०) आधी रात । अधमीची-(वि०) आधी मीची हुई अधरामृत-(न०) १. प्रिय के होंठों को (अांखें) । अर्द्ध उन्मीलित । चूमने से मिलने वाला मिठास या अधमुमो-दे० अधमरियो। अानन्द । २. अधर रस रूपी अमृत । अधमुयो-दे० अधमुनो। अधरैण-(ना०) आधी रात । अषरयण । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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