SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 494
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झोटिंग . ( ४७७) ज्वाला। ३. बैठे-बैठे को पाने वाली दही । ३. बच्चे को सुलाने के लिये कपड़े नींद । हलकी नींद । ४. हवा का धक्का। की बनाई हुई झोली । ४. ढीली खाट । ५. नशे का झोंका । ६. पैग। पिनक। झोळी-(ना०) १. झोली। थैली। २. झोटिंग-(न0) समस्त शरीर पर बड़े बड़े भिक्षान्न डालने की साधु की झोली । ३. बालों वाला एक भूत । (वि०) १. बड़े बच्चे के सोने की झोली । झोळणो। बालों वाला । २. जटाधारी। झोलो-(न०) १. अत्यन्त उष्ण अथवा शीतल झोटी-(ना०) जवान भैस । ग्रोसर । कलोर। वायु, जिसके चलने से फसल और वृक्ष झोटो-(न०) १. झोंटा । पेंग । हिलोर। एक बारगी सूख जाते हैं । २. फसल को २. जवान भैसा। पाडो। हानि करने वाला विपरीत दिशा का झोल-(न०) १. सिरों पर से बंधी हुई किसी पवन । ३. वायु की झपट । ४. प्राघात । लंबी चौड़ी वस्तु के बीच वाले भाग में ५. मस्ती। ६. डिगना । हिलना । ७. होने वाला झुकाव । २. चारों कोनों से रति क्रीडा । ८. नशे की लहर । ६. एक बँधे हुए कपड़े, सायबान आदि के बीच . वात रोग । १०. इशारा । ११. भोंका। में रहने वाला झुकाव । बंधे हुए कपड़े १२. संकट । १३. विक्षेप । का वह अंश जो ढीला होने के कारण भोळो-(न०) १. कपड़े का थैला। २. लटक जाय । ३. ढिलाई । ढीलापन । गिलाफ । खोली । खोळी । भोळ-(न०) १. शोरवा । रसा। झोल। झौड़-(न०) १. वाग्युद्ध । बोलचाल । २. मुलम्मा । ३. झुड । समूह। विवाद । २. माथापच्ची। ३. हठ । झोळणो-(न०) १. यात्रा में साथ रखा जिंद । हठवादिता । ४. बखेड़ा । प्रपंच । जाने वाला एक थैला । २. छोटे बच्चे ५. झगड़ा-टंटा । लड़ाई। .. के लिये बनाया हुआ कपड़े का झूलना। झौड़-झपाड़-(ना०) १. बकवाद । २. बोलझोळी । चाल । टंटा-फसाद । झोळदार-(वि०) १. रसेदार । जिसमें रस झौड़ायत-(वि०) १. झोड़ करने वाला। हो। २.जिस पर मुलम्मा किया हुआ हो। बकवादी। २. लड़ने वाला। झोळियो-(न०) १. दही में पानी के साथ झौड़ियो-(वि०) झोड़ करने वाला । चीनी या नमक-जीरा को मथ कर बनाया झोड़ीली-(वि०) झोड़ करने वाली। हुआ एक पेय । मट्ठा । लस्सी । २. पतला झोड़ीलो-(वि०) झौड़ करने वाला। ज ज-संस्कृत परिवार की राजस्थानी वर्ण मालों का दसवां व्यंजन वर्ण । चवर्ग का पांचवां वर्ण। इसका उच्चारण स्थान तालु और नासिका है। वाणीकी पाठशाला में इसे 'ननियो खाँडो चंदरमा' कहा जाता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy