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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झामळो झालर वाव झामळो-(न०) आँख का एक रोग । दृष्टि- झालकी-(न०) १. झालं में जितना घास __ मांद्य । प्रादि समा सके या बैलगाड़ी में जितना झामो-(न०) दे० झावो। भरा जा सके उतना परिमाण । २. बैल झारणो-(क्रि०) १. जल आदि को झरने गाड़ी में (झाल वेष्टित होकर) भरा जा देना । २. थोड़े २ पानी की घार देना। सके उतना नाज, घास प्रादि । ३. पाला, ३. गरम पानी की धार से धोना या सेक कड़व प्रादि घास से भरी हुई बैलगाड़ी। करना। झालड़ी-दे० झाल की। झारा झूरो-दे० खारा खेरो। झाळण-(न०) १. किसी धातु की वस्तु में झारिया-(न०) घोट-छान कर तैयार की टांके (धातु जोड़ने का साधन) से की हुई पेय-मंग । छनी हुई भांग । पीसी हुई गई जुड़ाई । - झालन । २. छेद, सांध भांग का द्रव रूप । विजयाद्रावण । आदि को टांके से जोड़ने की क्रिया । ३. झारिया जमावणो-(मुहा०) भंग पीना। जोड़ । टांका । झारी-(ना०) एक टोंटीदार जलपात्र । झालण-(न०) १. सूत का बना हुग्रा मोटा झरझरी। और बड़ा कपड़ा जो बैलगाड़ी में नाज झारो-(न०) १. नाश्ता । कलेवा २. तांबे ढोने के लिये बिछाया जाता है तथा छाया पीतल आदि का टोंटीदार एक जलपात्र । करने के लिये बांधा जाता है। २. पास ३. पानी आदि झारने की क्रिया । ४. आदि भरने के लिये घेरे के रूप में लगाया छेदों वाला बड़ा छिछला कलछा जिससे जाने वाला जट का बुना हुप्रा, लंबा चोड़ा पाल । कड़ाही में तली हुई पूरियाँ, सेवें आदि निकाली जाती हैं। ४. सेवें छाँटने का झालगो-(क्रि०)१.पकड़ना। ग्रहण करना । २. थामना । ३. सहन करना। ४. उत्तरछेदों वाला कलछा । झाबा। दायित्व लेना। झाळग-(न०) १. अग्नि । २. ज्वाला सहित झाळरणो-(क्रि०) धातु की बनी हुई वस्तु अग्नि । ज्वालाग्नि । ३. अग्नि के समान को टॉक से जोड़ना । झालना । झालन जाज्वल्यमान । ४. घासफूस के जलने से लगाना। होने वाली बड़ी ज्वाला। भळ-पूळो-(वि०) १. ज्वाला के समान झाळ-(ना०) १. बैलगाड़ी में ऊने तक घास विकराल । २. अत्यन्त क्रोधी। कुर प्रादि भरने के लिये उसके नीचे झाळ-बंबाळ-(वि०) १. अग्नि के समान विछाने तथा उसे ढकने का मोटा जट तेजस्वी। २.महाकोधी । (मा०)क्रोधाग्नि । का बुना कपड़ा। २. झाल में जितना झालर-(ना०) १. टकोरा । घड़ियाल । भास प्रादि समा सके या बैलगाड़ी में घंटा। २. शोभा के लिये कपड़े प्रादि में जितना भग जा सके उतना परिमाण । लगाई जाने वाली गोट या किमारी। ३. बैलगाड़ी में भरा जा सके उतमा माज ३ जालीदार किनारी। ४. पत्तों वाला प्राधि। ४. स्त्री के कान का एक माभू एक शाक । ५. एक जल पात्र । हाथी पण। के कान का एक प्राभूषण। काळ-(110) १. ज्वाला। २. क्रोध । ३. झालर वाव (म0) १. चारों ओर सीहियों क्रोध का प्रावेश । झल्लाहट । ४.भालन। वाली बावली। चौकोर पैड़ियों पाली झाळग। वापो या कुआँ । मालरो। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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