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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir • पती जनवरी ( ४२४ ) जनवरी-(ना०) ईसवी सन् का पहला की लंबी कंठी। बदी। ३. सोने की __महीना । जानुप्रारी। लंबी कंठी। जनवासो-दे० जानीवासो। जनोईवढ़-(न०) तलवार का ऐसा प्रहार जनस-दे० जिनस । जो धड़ को जनेऊ की तरह टेढ़ा काट दे। जनाजो-(न०) मुसलमानों में मुर्दे को कब जनेब । जनेवा । लेखपवन । में गाड़ने को ले जाने की खटिया । मृतक जन्नत-(न०) स्वर्ग । की प्ररथी । अरथी । टिकची । सीटी। जन्म-दे० जनम । जनादी-(ना०) बहुत कम मूल्य के एक जन्मकुंडली-(नाo) जन्म के समयों में ग्रहों पुराने सिक्के का नाम । की स्थिति की फल ज्योतिष के अनुसार जनान खानो-(न०) अंत:पुर । रनिवास । बनाई हुई सारिणी। दे० जनम कुडळी। रणवास। जन्मपत्री-(ना०) वह पत्रिका जिसमें किसी जनानी डोढी-(ना०) रनिवास । अंतःपुर। के जन्म के समय के ग्रहों की स्थिति, जनानखाना। दशायें और अंतर्दशायें इत्यादि लिखी जनानो-(न०) १. परदे में रहने वाला स्त्री हुई रहती हैं। जन्म के बाद उत्तरोत्तर समुदाय । हरम । अंतःपुर । २. स्त्री। (भविष्य में) बनने वाले बनावों तथा पौरत । ३. पत्नी । जोरू । ४. नामर्द । लाभ-हानि को बताने वाली जन्मकुडली नपुंसक। के आधार से (ज्योतिषी के द्वारा) जनाब-(न०) श्रीमान् । महाशय । बनाई हुई पत्रिका । जन्मपत्रिका । जनारजन-(न०) १. जनार्दन । विष्णु। जन्मभूमि-(ना०) किसी के जन्म या देश २. श्रीकृष्ण। ___ का स्थान । जहाँ जन्म हुआ है वह देश जनार्दन-(न०) १. विष्णु । २. श्रीकृष्ण। या स्थान । मातृभूमि । जनावर-(न०) १. जानवर । पशु । जिना- जन्माष्टमी-दे० जनमाठम । वर । २. गदहा। ३. जीवधारी। प्राणी। जन्मांध-(वि०) जो जन्म से अंधा हो । (वि०) मूर्ख । प्रखम। जनाँ हंदा-(वि०) जिनका। जप-(न०) किसी नाम या मंत्र का रटना। जनि-(अव्य०) नहीं । मत । एक ही नाम को बार बार दोहराते रहने जनेऊ-दे० जनोई। की क्रिया । रटन । जाप । जनेत-(ना०) जनेता। (न०) बराती। जपजाप-दे० जप । जनेता-(न०) माता। जनित्रि । जनीता। जपणी-(ना०) १. जपमाला। माला । जरणीती। २. गोमुखी। जनेती-(न०) बराती । जानियो। जपणो-(क्रि०)१. जप करना । जपना । २. जनेब-(ना०) १. तलवार । २. तलवार कहना । ३. बोलना । उच्चारण करना । का वह प्रहार जो कंधे पर पड़ कर तिरछे ४ शांत होना । बकवाद बंद करना। . बल कमर तक काट करे। जनेऊ की जपत-(दे०) जन्त । तरह तिरछा प्रहार । जनेवा । जप-तप-(न०) जप और तप । तपस्या और जनोई-(ना०) १. यज्ञोपवीत । जनेऊ। ईश्वर के नाम का जपन । २. जामे के ऊपर पहनने की एक प्रकार जपती-(ना०) १. जन्ती । २. कुर्की। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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