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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जडलंग ( ४२१) जणीक बार जड़लग-(न०) १. तलवार । २. कटार। जड़ लियो-दे० झड़ लियो। जड़ाई-(ना.) १. जड़ने का काम । २. जड़ो-(वि०) १. जड़वत । मूर्ख । २. जड़ने की मजदूरी । ३. जड़त का काम । असभ्य । अशिष्ट । ३. प्रशिक्षित । ४. जड़त। बैल, ऊंट आदि वह पशु जिसको सवारी जड़ाऊ-(वि०) वह जेवर आदि जिसमें नग की चाल नहीं सिखाई गई हो। बिना (रत्न) जड़े हों। जड़ाव वाला। जड़ा ढंग की चाल वाला । प्रदरियो। जण-(न०) १. व्यक्ति । जन । पुरुष । हुमा । जड़तवाला। जरणो। २. जन। लोक । ३. भक्त । जड़ाग-(न०) १. रत्न । मरिण । २. आभू ४. सज्जन । ५. लोक । समूह । (सर्व०) षण । ३. पुत्र । ४. घोड़ा। ५. युद्ध। जिसने । जिस । (वि०) १. महाबलशाली वीर । २. जणण-(न०) १. उत्पत्ति । जन्म । २. श्रेष्ठ। ___ संतान । ३. प्रसव । जड़ारणो-(क्रि०) १. प्राभूषणों में रत्नों जगणी-(ना०) माता । जननी । की जड़ाई करवाना। २. खिड़की या जणणो-(क्रि०) बच्चे को जन्म देना । किंवाड़ बंद करवाना। ३.ताला लगवाना। जनना। ४. प्रहार करने के लिये उकसाना। ५. जणन-दे० जिरणने । प्राप्त करवाना। ६. तलाश करवाना। जणसू-दे० जिणसू। ६. जूते मरवाना या लगवाना । ८.पिटाई जमा __ जणाणो-दे० जणावरणो। करवाना । पिटाना। जणा दीठ-(अव्य०)१. प्रति व्यक्ति । व्यक्ति जड़ामूळ-(न०) १. मूल का मुख्य साधन । वार । जड़मूल । २.मुख्य मूल । ३.मुख्य प्राश्रय। जणारजण-(न०) जनार्दन । विष्णु । ४. समस्त साधन । ५. आदि । शुरू। जणाव-(न०) जानकारी। प्रारंभ । ६. वंश । ७. वंश परम्परा। जणावणो-(क्रि०) १. जानने को प्रेरित जड़ायुज-(न०) घोड़ा। करना । जतलाना। बताना। २. प्रसव जड़ाळ-(ना०) कटारी। कार्य करना । जनमाना । ३. प्रगट करना । जड़ाली-(ना०) कटारी। जणां-(क्रि०वि०) जब । जिस समय । जड़ाव-(वि०) रत्न जड़ित । (न०) १. जरां। जदै । जव । (नम्ब०व०) जन ___ मणि-माणिक्य । २. जड़ाई का काम । समूह । (अन्य०) जनों ने । लोगों ने। जड़ावरणो-दे० जड़ाणो। जणियारी-(ना०) जन्मदातृ । माता । जड़ियो-(न०) जड़ाई का काम करने जरिणयो-(न0) पुत्र । (क्रि०भू०) जन्म दिया वाला। आभूषणों में रत्नों को जड़ने जन्मा । वाला । २. जड़ाई का काम करने वाली जणी-(ना०) १. स्त्री। नारी। जनी । जाति का व्यक्ति । जड़िया। व्यक्ति । २. माता। ३. पुत्री। (सर्व०) जड़ी-(ना०) १. जड़ी-बूटी। वनौषधि । १. जिस । २. उस । (क्रि०वि०) जब । . २. प्रौषधि के रूप में काम आने वाली जणीकै दीठ-(अव्य०) १. एक व्यक्ति को । वनस्पति की जड़ । ३. बहुत पतली मूली। २. एक एक व्यक्ति को। प्रत्येक व्यक्ति जड़ीबूटो-(ना०) वनौषधि । को । प्रतिव्यक्ति । ३. व्यक्ति की दृष्टि से। जड़ लिया-दे० झड़ लिया। जणीक वार-दे० जणीक-दीठ । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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