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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २८६) पुणरिणयो खुरणखुणियो-(न०) १. खनखन प्रावाज खुद्या-दे० खुधा । करने वाला खिलौना । रमको। खुधा-(ना०) क्षुधा। भूख । खुणचो-(न०) नाज आदि सूखा पदार्थ लेने खुधाळ-दे० खुधावंत । के लिये बनाई जाने वाली हाथ की खुधावंत-(वि०) भूखा । क्षुधावंत । अंजलि । खबचो। खुधिया-(ना०) क्षुधा । भूख । खुणस-ना०) १. शत्रुता। २. द्वेष । ३. खुध्या-दे० खुधिया। क्रोध । ४. शक । अंदेशा। ५. प्रादत। खुपरी-(ना०) १. खोपड़ी। २. किसी कड़ी ६. खराब आदत । गोलाकार वस्तु का ऊपरी आवरण । खुणसो-दे० खुणचो। ३. गूदा निकाले हुये मतीरे के ऊपर का खुद-(सर्व०) स्वयं । प्राप।। मोटा छिलका अथवा उमका प्राधा भाग। खुदकाश्त-(ना.) १. अपनी ही जमीन में खुफिया-(वि०) गुप्त । छिपा हुआ। की जाने वाली काश्त । २. खुद की ही खुभगो-(क्रि०) चुभना । धंसना । गड़ना । भूमि को जोतने वाला काश्तकार । चुभणो । खुदकुशी-(ना.) आत्महत्या । आपघात । खुभागो-(क्रि०) चुभाना । घंसाना । चुभाखुदगरज-(वि०) स्वार्थी । मतलबी। खुद- वो। गरज। खुभावणो-दे० खुभाणो। खुदगरजी-(नाo) स्वार्थ परता। (वि०) खुमरी-(ना.) एक चिड़िया । खुदगरज । स्वार्थी। खुमारणरासो-(न०)दलपतविजय द्वारा रचा खुदणो-(क्रि०) खोदा जाना। हुआ मेवाड़ के इतिहास का एक डिंगल खुद बखुद-(वि०) १. अपने पाप । २. प्राप। काव्य ग्रंथ। खुमारणी-(ना०) एक मेवा। खुरबाणी । खुद मुख्तार-(वि०) स्वतंत्र । खुमारणो-(वि०) नशा किया हुआ। नशीला। खुद मुख्तारी-(ना०) स्वतंत्रता।। खुमारियो । (न०) मेवाड़ के अधिपति खुदवाई-(ना०) १. खोदने का काम । रावळ खुमान के वंशज । २. खोदने की मजदूरी। खुमार-दे० खुमारी। खुदवाणो-(क्रि०) खुदवाना । खोदने का खुमारियो-(वि०) नशा किया हुआ । काम करवाना। नशीला। खुदा-(10) ईश्वर । खुमारी-१. नशा । २. नशे का उतार । खुदाणो-दे० खुदावणो। ३. अधूरी नींद । ४. भोजन के बाद की खुदालम-दे० खूदालम। सुस्ती। खुदावणो-(क्रि०) खुदवाना । खुर-(न०) १. सींग वाले चौपायों के पैर खुदावंद-(न०) १. खुदा । परमेश्वर । २. की दो भागों में विभक्त टाप । गाय, भैंस - महाशय । प्रादि के पैर का नख । घोड़े आदि खुदिया-दे० खुधा । पशुओं के पैर का वह बिना फटा नख भाग खुदी-(ना०) १. अहंभाव । २. अभिमान। जो जमीन पर पड़ता है । सुम । टाप । खुदोखुद-(वि०) १. अपने आप। २. आप खुर । २. पैर । पांव । खुद। खुरखू-(ना०) घरती। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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