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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २८७ ) खोजावणी खींचाताण खीजावणो-दे० खीजाणो।। लकड़ी में बनाये हुये खई में इस प्रकार खीजियोड़ो-(वि०) १. क्रोधित । २. चिढ़ा अटकी रहती है कि जिससे ऊपर वाला हुआ। ३. शीतकाल में मस्ती में पाया पाट आसानी से घुमाया जा सके। खील हुआ (ऊंट)। और मांकड़ी। खीटरपो-दे० खींटणो। खीली-(ना०) १. कील । मेख । चूंक । खीण-(वि०) १. क्षीण । दुबंल । २. सूक्ष्म। २. खूटी। मंद । ३. कृश । पतला। ४. जो क्षीण खीली करणो-(मुहा०) १. दुख देना। हो गया हो । जो घट गया हो। २. चिढ़ाना । खीणता-(ना०) क्षीणता । दुर्बलता । खोली खटको-(न०) भय । डर । दुबळाई। खीलो-(न०) १. बड़ी कील । मेख । २. खीनखाप-(न०) एक प्रकार का बढ़िया लंबा और पतला आदमी। __ कपड़ा। खीलो-खाँपो-दे० खाँपो-खीलो। खीप-दे० खींप। खीलोरी-(वि०) १. जंगली । २. उजड्ड । खीमर-दे० खींवर । (न०) गड़रिया । खीर-(ना०) १. दूध । क्षीर । २. दूध में खीवर-(न०) सुभट । वीर । चावल डालकर बनाया जाने वाला एक खीस-दे० खीसी । भोज्य पदार्थ । क्षीर । तस्मई । हविष्य । खीसी-(ना०) शमीवृक्ष की मंजरी । खेजड़ी खीरकंठ-(न०) बालक । क्षीरकंठ । बोबो- की मंजरी। मींजर। धावरिणयो । थण-चूघरिणयो। खीसो-(न०) जेब । खूजियो । गूजियो । खीरज-(न०) दही। खींखरो-(वि०) १. अति वृद्ध । डण । खीर सागर-(न०)१. क्षीर सागर । २.खीर डोकरड़ो। १. जीर्ण । बोदो । (न०) आदि द्रव पदार्थ परोसने का एक पात्र । १. जंगल । वन । २. घास । चारो। खीरो-(न०) जलता हुआ कोयला । अंगारा। खींच-(ना०) १. खिंचाव । तनाव । २. खील-(न०) २. मुहासा। २. चक्की के प्राकर्षण । ३. अाग्रह । ४. कमी। तंगी। नीचे के पाट में बीच में लगी कील । खींचरणो-(क्रि०) १. खींचना । घसीटना । ३. मेख । कील । ४. एक प्रकार का व्रण २. म्यान से तलवार को बाहर निकालना। जिसमें से चावल जैसी कील निकलती ३. भभके से शराब आदि बनाना । ४. है। ५. व्रण की कील । ६. भुना हुआ लकीर काढ़ना। रेखा बनाना। प्रोळीअन्न। काढरपो। खीलणो-(क्रि०) १. खिलना। फूलना। खींचा-खींच-(ना०) १. खींचातानी। २. २. मंत्र के प्रभाव से प्रेतादि के आवेश को आग्रह । ३. तंगी । कमी। रोकना । कीलना। ३. किसी वस्त्र के दो खींचा-खींची-दे० खींचा-खींच । लम्बे टुकड़ों को इस प्रकार सीना कि खींचाताण-ना०) १. किसी वस्तु को दोनों के किनारे मुड़े नहीं । डॅडियाना। प्राप्त करने के लिये दो में से एक दूसरे खील-माँकड़ी-(ना०) चक्की के ऊपर वाले के विरुद्ध किया जाने वाला उद्योग । पाटे के बीच की लकड़ी और नीचे वाले खींचा-खींची। २. शब्द तथा वाक्य का पाट की खूटी जो ऊपर वाले पाट की क्लिष्ट कल्पना के सहारे या जबरदस्ती For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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