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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कळाप ( २१२ ) फळीजको कळाप-(न०) १. समूह । २. रुदन । ३. कळिभीम-(न०) कलियुगी भीम। दुःख । विलाप । ४. तरकश । तूणीर । कलिमल-(न०) कलि का मैल । पाप । ५. मोर की पांखों का छत्र । ६. भौंरा। कळिमूळ-दे० कळमूळ । कळापाती-(वि०) १. कपटी । छली । २. कलियळ-(न०) १. क्रौंच पक्षी के बोलने चंचल । उत्पाती। का शब्द । कलरव । कळापी-(न०) १. मोर । २. कोयल। कळियार-दे० कळिमूळ । कलाबातू-(न०) रेशम के धागे पर लपेटा कलियुग-(न०) चार युगों में का अंतिम युग । हुआ सोने या चांदी का बारीक तार ।। अधर्म युग। कलाबत्त । कळियो-दे० कुळियो । दे० कलसियो । कळायण-(ना०) १. काली मेध-घटा । कळिहिवा-(अव्य०) युद्ध करने के लिए। कांठळ । २. वर्षा का एक लोक गीत । कलिग-(न०) १ एक प्राचीन जन पद का कलाळ-(न०) १. कलाल जाति का व्यक्ति। नाम । २. एक असुर का नाम । किलंग। २. शराब बनाने या बेचने वाली जाति । कळी-(ना०) १. बिना खिला हुमा पुष्प । कलवार। कलिका । २. कुरते आदि में काँख में कलाळण-(ना०) १. कलाल जाति की स्त्री।। ळगने वाला तिकोना कपड़ा। ३. नीचे २. कलाल की स्त्री. की भोर (तले में) शंकु वाला (नुकीला) कलाळी-(ना०) १. एक लोक गीत । २. पाम के आकार का हुक्के का जलपात्र । कलाल जाति की स्त्री। ४. कळी वाला जस्त का बना हुआ हुक्का । कलावंत-(न०) १. गायक । २. कलाकार। ५. कलई नाम की धातु । ६. कलई का ३. नट । ४. एक संगीतज्ञ जाति । ५. मुलम्मा। ७. दीवाल में सफेदी करने इस जाति का व्यक्ति । ६. संगीतज्ञों की तथा पान में खाने प्रादि के काम में प्राने उपाधि । वाला कंकड़ रहित चूने का बारीक चूर्ण । कळावान-(वि०) १. चतुर । प्रवीण । २. ८. शुरु में फूटने (पाने) वाले मूछ-दाढ़ी छली। कपटी। ३. धूर्त । ४. कला के बाल । ६ दर्पण में एक ओर किया जानने वाला। गया पारे आदि का लेप। १०. नाक में कलावो-(न0) हाथी की गरदन । कलावा।। से बाल निकालने का नाई का औजार । कळाहीण-(वि०)१. अज्ञ । मूर्ख । अबूझ । ११. घाघरे या जामे का पल्ला जो गाव२. अशक्त । ३. कला रहित । दुम (ऊपर की ओर से सैकड़ा और नीचे कला-(वि०) १. बड़ा (गाँव) । की अोर क्रमशः चौड़ा होता हुआ) होता कळि-(न०) १. युद्ध । २. कलियुग । (अव्य०) है, जिससे घाघरे या जामे की बनावट लिये । हेतु। नीचे से घेरदार बनती है . (एक घाघरे कळिकाळ-(न०) कलियुग का समय । या जामे में २० से १०० कलियां तक अधर्म का समय। होती हैं ।) १२. तरह । प्रकार । (वि०) कळिचाळो-दे० कळचाळो। १. सुन्दर । २. समान । (क्रि० वि०) कळि पत्थ-(न०) कलियुगी अर्जुन । कलि- तरह । भाँति । पार्थ । कळीजणो-(क्रि०) १. कीच में फंसना । २. कळिपाथ-दे० कळि पत्थ । घर-गृहस्थी या सांसारिक कामों में उल For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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