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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऊन (१६४) ऊपरा-ऊपरी ऊन-(सर्व०) उसको । उसे । (क्रि० वि०) ऊपरछल्लो-दे० ऊपरचलो। १. इधर । इस अोर । यहाँ । २. उधर। ऊपरणी-(ना०) चूचदार या खिड़किया उस ओर । वहाँ। पगड़ी के ऊपर बाँधी जाने वाली भिन्न ऊनो-(वि०) गरम । उष्ण । रंग की एक छोटी पगड़ी। ऊन्हाळो दे० ऊनाळो। ऊपरतळं-(क्रि०वि०) १. एक के ऊपर ऊपट-दे० उपट । ___ एक । २. अव्यवस्थित । ३. ऊपर-नीचे। ऊपटणो-(क्रि०) दे० उपटणो। ऊपरदान-(अव्य०) १. आगे होकर के । ऊपड़णो-दे० उपड़णो। बढ़ कर के । २. मना करने पर भी। ऊपरणरणो-(क्रि०) दे० उफणणो सं० २ व ३. और ज्यादा । ४. और । विशेष । ऊफणणो सं०१। ऊपरमाळ-(न०) १. गांव की सीमा के ऊपनो -(क्रि०) उत्पन्न होना । पैदा किनारे आये हुये खेतों की पंक्ति । किनारे होना। के खेत । २. ऊपर का मार्ग । ३. जो ऊपनियोड़ो-(वि०) १. उत्पन्न । पैदा। सर्वसाधारण के आने जाने का मार्ग २. उपार्जित । पैदा किया हुआ। न हो। ऊपना-(न०) १. माल की बही में माल ऊपरलियाँ-(ना०) एक प्रकार की लोक के बेचने का इंदराज । २. बेचान खाते देवियां, जिनके प्रकोप से बालकों में एक में लिखी जाने वाली रकम या रकमों के प्रकार का वात रोग होना माना जाता _है। मावड़ियां । मैलड़ियां । इंदराज । ३. माल के बेचान की आमदनी। ऊपरली पळ-(ना०) जीवन का श्रेष्ठ समय । ऊपनो-(वि०) उत्पन्न । पैदा। ऊपरलो-(वि०) १. ऊपर वाला। ऊपर ऊपर-(वि०) १. ऊंचाई पर । २. ऊंचा। ३. अतिरिक्त । ४. श्रेष्ठ । __ का । २. बलवान । जोरावर। ऊपर वट-(ना०) १. सहायता । २. सिफाऊपरकरणो-(मुहा०) सहायता करना । रिश । (क्रि०वि०) १. बढ़कर । ऊपर ऊपर चट्टो-(वि०) १. ऊपर ऊपर का । होकर के । (वि०) अधिक ।। दिखावे का । २. व्यर्थ । (स्त्री० ऊपर ऊपर वाड़ी-(ना०)१. गणित के प्रश्न को चट्टी)। शीघ्र हल करने की युक्ति । मूल युक्ति । ऊपर चलो--(वि०) १. शक्ति उपरान्त । शीघ्र-रीति । शीघ्रनियम । मूल नियम, सामर्थ्य से अधिक । सामर्थ्य से ऊपर । __ शीघ्र-गणित-गुर । २. काम को शीघ्र २. आवश्यकता से अधिक । अतिरिक्त। निपटाने की यक्ति । दे० ऊपरवाड़ो। ३. ऊपर ऊपर का। ४. साधारण । ऊपर वाड़ो-(न०) १. नजदीक का मार्ग। फुटकर । परचूरण । छोटा मोटा । २. ऊपर का मार्ग । ३. बिना मार्ग का ५. मुख्य कार्य के संपादनार्थ की जाने ___ मार्ग । ४. बाड़ आदि से घेरे हुए स्थान वाली तयारी का काम । (अव्य०) ऊपर में प्रवेश करने के मख्य द्वार के अतिरिक्त होकर । मरजी के उपरान्त । मरजी के अनियमित रूप से बना हुमा शीघ्र पहुँचने खिलाफ। का मार्ग । बेकायदा रास्ता । ऊपरचूटो-(वि०) १. अतिरिक्त। २. फुट- ऊपरा-ऊपरी-(क्रि० वि०) एक साथ । कर। लगातार । एक के ऊपर एक । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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