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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 'शब्द । आहंसरणो ( ११८ ) प्राईणी ५. प्राण । ६. जीवात्मा । ७. व्यक्तित्व। पाहुटणो- (क्रि०) १. युद्ध करना । ८. स्वाभिमान । २. मारना । वीरगति को प्राप्त होना । पाहंसगो-(क्रि०) १. साहस करना । ३. व्यर्थ गवाना । नष्ट करना । ४. नष्ट २. आत्मबल का जाग्रत होना। ३. असीम होना । ५. पीछे मुड़ना । ६. भागजाना । शक्ति से भिड़ना। चलेजाना। पाहंसी-(वि०) १. साहसी । २. तेजस्वी। पाहुड़-(न०) युद्ध । प्रतापी। ३. प्रात्मबली । ४. स्वाभिमानी। पाहुड़गो-(क्रि०) १. लड़ना । भिड़ना । पाहा-(अव्य०) आश्चर्य और हर्ष सूचक युद्ध करना। आहुति-(ना०) १. हवन में मंत्र बोलने के पाहाड-(न0) मेवाड़ का एक ऐतिहासिक साथ घी, तिल, जो इत्यादि की डाली जाने प्राचीन नगर । प्राघाट । वाली सामग्री। २. वह मात्रा जो एक पाहाडो-(न०) पाहाड़ नगर से संबंधित बार हवन में डाली जाय । ३. बलिदान । होने के कारण मेवाड़ के गहलोत शासकों ४. समर्पण। का एक नाम। पाहटमा--(न0) चित्तौड़ के सिसोदियों आहार - (न०) भोजन । का एक विरुद। (वि०) युद्ध रसिक । आहार-विहार--(न०) रहन-सहन । युद्धप्रिय । पाहिज-(सर्व०) यही । (अव्य०) यही तो। आहू-(न०) आश्विन मास । प्रासोज । आहिस्ता--दे० प्रास्ते । पाहूठरणो-दे० प्राहुटणो। . अाही--(सर्व०) यही। पाहूत--(वि०) निमंत्रित । बुलाया हुआ। ग्राहीठागा-दे० प्राइठाण । बुलायोड़ो। ग्राहीणी-दे० ग्राईणी । आँईगी। पाहूतरण--(ना०) १. अग्नि । आग । ग्राहीर--(न०) अहीर । गूजर । २. निमंत्रण । बुलावो। तेड़ो। (वि0) ग्राहीवाळो-(10) ऋणी की अोर से निमंत्रित । ऋण दाता को लिखकर दिये गये दस्ता- अाहेड़-(ना०) शिकार । आखेट । वेज की वह शर्त जिसके अनुसार अमूक आहेडियो-दे० प्राहेड़ी। अवधि के अंदर ऋण न चुकाया जा सके . अाहेड़ी-(न०) १. शिकारी। प्राखेटक । तो ऋणी की चल-अचल सम्पत्ति जिसका २. भील । ३. थोरी । ४. आर्द्रा नक्षत्र । दस्तावेज में नामोल्लेख किया हया रहता अाहेड़ो-(न०) १. शिकार । प्राखेट । है, ऋणदाता का अधिकार हो जाता २. शिकारी। आखेटक । अाँ-(सर्व०ब०व०) १. इन्होंने । इणां । पाहीवाळो-खत-(न0) ऋणी की ओर २. ये । (वि०) इन । इनके । (अव्य०) से ऋणदाता को लिखकर दिया गया एक नकारात्मक उद्गार । 'पाँहाँ' का दस्तावेज, जिसमें प्राहीवाळे की शर्ते छोटा रूप । २. पाश्चर्य सूचक उद्गार । लिखी रहती हैं। प्राईगी-(ना०) वह गाय या भैंस जिसने पाहुगाळ-दे० ग्राउगाळ । पुनः बियाने तक (बियाने के कुछ समय पाहुगाळो---दे० प्राउगाळो । पूर्व) दूध देना बंद कर दिया हो । माहुट–'न०) युद्ध। प्राणी। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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