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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुजापो पुण्यारथ पुजापी-पु० १ देव पूजन की सामग्री। २ चढ़ावा, नैवेद्य। पुणगो (बी)-क्रि० [सं०पणनम्] १ बोलना, कहना । २ बमामा पुजारी, पुजारौ-पु० [सं० पूज] (स्त्री० पुजारण, पुजारिण)। रचना, कथना। १ देव मंदिर की पूजा करने वाला । २ पूजा प्रादि का पुरिणद-देखो 'फरणीद'। कार्य करने वाला। पुरिण-१ देखो 'पुण्य' । २ देखो ‘पुन' । पुजावणी (बो)- देखो 'पुजाणी' (बी)। पुरिणयो-१ देखो 'पुरणियौ' । २ देखो 'पुरण' । पुज्न-१ देखो 'पूज' । २ देखो 'पूज्य'। पुणु पुण्ण-देखो 'पुण्य' ।। पुट-पु० [सं०] १ तह, परत, पल्ला । २ गिलाफ, खोल ।। पुण्णट्ठा-पु० [सं० पुण्य-नष्ट मृत्यु भोज का भोजन लेने से ३ पाच्छादन । ४ दोने या कटौरेनुमा पदार्थ । ५ दोना, होने वाला दोष (जैन)। कटौरा, ऐसा ही कोई पात्र । ६ प्रौषध पकाने का. बंद | पुण्णमासि, पुष्णमासी-देखो 'पूरणमासी'। बर्तन । ७ ऐसे बर्तन में औषध बनाने की क्रिया या विधि । पुरिणम-देखो 'पूरणिमा'। ८ किसी औषधि या किसी पदार्थ में किसी अन्य प्रौषधि | पुण्य (न्यु)-वि० [सं०] १ पवित्र, शुद्ध । २ मांगलिक, शुभ । या वस्तु का दिया जाने वाला संपुट, योग । ६ इसी तरह ३ उत्तम फलदायी। ४ उत्सवसंबंधी । ५ नेक, ईमानदार, किसी एक रंग में अन्य रंग का योग देकर रंगने की धार्मिक । ६ मनोहर, सुन्दर । ७ कोमल* । प्रानन्ददायी । क्रिया। १० ढक्कन। ११ नगर, शहर । १२ पृष्ठ भाग । -पु. १ शुभ परिणाम व फल वाला कार्य । २ शुभ कर्मों -वि० उल्टा, औंधा। का संचय । ३ शुभ कर्मों का बंध । ४ विशुद्धता, पवित्रता। पुटपड़ो-पु० १ गाल । २ देखो 'पापड़ौ'। ५ परोपकार । ६ दान, धर्म । ७ धार्मिक कर्म । पुटपाक-पु० [सं०] पत्तों के दोने में रख कर प्रौषध बनाने का पुण्यक-पु० [सं०] १ पुण्य दायक व्रत, अनुष्ठान । २ पुत्र के ___ कार्य या ढंग। __ कल्याण हेतु माता द्वारा किया जाने वाला व्रत । ३ विष्णु। पुटभेव, पुटभेवरण (न)-पु० [सं० पुट भेदनम्] १ नगर, शहर । पुण्यकरता-पु० [सं० पुण्य कर्तृ ] पुण्य कर्म करने का समय । २ एक वाद्य विशेष । पुण्यकरम-पु० [सं० पुण्य कर्मन् ] पुण्यदायी कार्य । पुटाळ, पुटाळी-पु० [सं० पुट-पालुच] तलवार की मूठ का | पुण्यकाळ-पु० [सं० पुण्यकाल] दान-पुण्य करने का समय । - मध्य भाग। पुण्यक्षेत्र (खेत)-पु० [सं० पुण्य क्षेत्र] वह स्थान जहां पुण्य पुटियो-पु. एक प्रकार की छोटी चिड़िया । प्राप्त होता है, तीर्थ । पट्टळी-देखो 'पोट'। | पुण्यजन-पु० [सं] १ राक्षस, असुर । २ यक्ष । पट्ठमाहिनौ, पुठ्विाहिऔ, पुठ्ठाहिनौ-देखो 'पोटियौ' । | पुण्यजनेस्वर-पु० [सं० पुण्यजनेश्वर] कुबेर । पुढी-पु० [सं० पृष्ठ] १ पृष्ठ के नीचे नितंबों वाला भाग । २ चौपायों के पिछले पैरों के ऊपर का भाग । ३ किसी पुग्यजोग-देखो 'पुण्ययोग'। पुस्तक का गत्ता, प्रावरण । पुण्यतिथ, पुण्यतिथि-स्त्री० [सं० पृण्यतिथि] १ शुभ कार्य का पुठाणी (बी)-क्रि० बैल गाड़ी के चक्के में 'पूठिया' लगवाना । ___ उपयुक्त दिन । २ शुभ मुहूर्त वाला दिन । ३ पर्व दिवस । पुरणो (बी)-देखो 'पोढ़णौ' (बी)। पुण्यपुरुस-पु० [सं० पुण्य पुरुष] धर्मात्मा व्यक्ति । पुढ़गर-पु० [सं० पुथकर] विलाप, रुदन । पुण्यभूमि-पु० [सं०] १ भारतवर्ष, प्रार्यावर्त । २ वह स्थान पुढ़वी-देखो 'प्रथवी'। या प्रदेश जहां धर्मात्मा जन्म लेते हैं या निवास करते हैं। पुरण-१ देखो 'पुन' । २ देखो 'पुण्य' । ३ देखो 'पुरण' । पुण्ययोग-पु० शुभ योग । पुणग-स्त्री० जल करण, बूद । वि० अणुमात्र, किंचित । पुण्यवत (बोन)-वि० [सं० पुण्यवत् ] (स्त्री० पुण्यवंती] शुभ पुणच-१ देखो 'पुणचौ' । २ देखो 'पणच'। कार्य करने वाला, धर्मात्मा, दानी। पुणचियो-देखो 'पुणचौ'। पुण्यस्थांन-पु० [सं० पुण्यस्थान] १ तीर्थ स्थान । २ पुण्य भूमि । पुणची-स्त्री० [सं० प्रकोष्ठ] स्त्रियों की कलई पर धारण करने | ३ जन्म कुण्डली में लग्न से नौवां स्थान । का प्राभूषण। पुण्याई-स्त्री० पुण्य का प्रभाव । पुण्य का फल । पुणबी-पु० [सं० प्रकोष्ठ] १ कलाई, हाथ का पहुंचा पुण्यातमा, पुण्यात्मा-वि० [सं० पुण्यात्मन] धर्मात्मा व पुण्यवान । २ कलाई का प्राभूषण । पुण्यारप-वि० [सं० पुण्यार्थ] १ पुण्य-प्राप्ति के लिये किया पुणछ-पु. १ पशु का पृष्ठ भाग, चूतड़ । २ देखो ‘पणच । जाने वाला। २ दान या परोपकार में लगाया हमा। For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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