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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हंसवाहण - समाहरण- देखो 'हंसवाहण' । हंसवाही देखो 'हंसवाहली' हंसमख पु० [सं० हंसभक्षणम् ] मौक्तिक, मोती । हं समंगळा- स्त्री० एक प्रकार की संकर रागिनी । हसमाळा- पु० एक छन्द विशेष । हंसमुख - वि० १ प्रसनं वदन, प्रसवदन विनोदसील विनोदशील, हास्यप्रिय २ जिसका चेहरा प्रायः प्रसन्न रहता हो । हसमोती- पु० शुभ रंग का घोड़ा । हंसरब १० [सं०] ब्रह्मा हंसराज ० १ स्वर्णकारों का एक बीजार २ देखो 'हंसपदी'। हंसराजा पु० प्राण, जीव । हसल देखो 'हंस'। हंससब देखो 'हंस' । *सलिपि, हंसलिवी - स्त्री० [सं० हंसलिपि ] एक प्राचीन लिपि विशेष | हंसली-देखो 'हांसली हसनो-देखो 'हंस' हंसस - पु० [सं० हंस- वंश ] सूर्य वंश | हंसडि पु० वस्त्र विशेष - www. kobatirth.org f OE). हंसवाहरण (न) - ०१ ब्रह्मा २ देखो 'हंसवाहणी' । हंसवाहणी वाहिणी, वाहिनी) - स्त्री० [सं० हंस वाहिनी] सरस्वती शारदा । हंससुता - स्त्री० [सं०] सूर्य की पुत्री, यमुना । हंसाई - देखो 'हंसी' | हंसगति, सागमण (खि) वि० हंस के समान मंद व सुन्दर चाल वालो । स्त्री० हंस की चाल । हंसागमणि (ली ) - देखो 'हंसगामिणी' सानो (बी) १ हंसने के लिये प्रेरित करना, हंसाना, हंसी को बात करना । २ खुश करना। ३ शोभित करना, सुसज्जित करना । ४ मजाक, चुहल या व्यंग करना । ५. किसी की दिल्लगी कराना, मजाक बनवाना । हंसावली (बी) देखो 'बाली' (बी) । हंसाळ, हंसाळ - वि० १ हंसी करने वाला, विनोदप्रिय । २ खुश मिजाज । पु० १ किसी खेल या नाटक का हास्य अभिनेता । २ विनोद प्रिय व्यक्ति ! हंसासरणी - स्त्री० सरस्वती, शारदा । 'सि देखो 'हंसी' सावळी- पु० डिगल का यह गीत जिसमें बेलिया' नामक छंद में 'रा' 'रा' शब्द रीति सहित प्राकर, उल्लेखालंकार का प्रयोग होता है। हंसासन-पु० योग के चौरासी प्रासनों में से एक।' - वि० हंस पर सवार, प्रारूढ़ 1 हसाळ - पु० १ छंद विशेष । २ घोड़ा, घश्व । ३ देखो 'हंसाळ' । हइवर - देखो 'हयवर' । ४ देखो 'हंस' हइ प्रव्य० १ हे, घरे, प्रो । २ देखो 'है'। १ देखो हृदय' । हडकप-देखो 'कंप इमर देखो 'वर' | हंसारी पु० एक प्रकार का घोड़ा हइरान देखो 'हैरान' । हंसा-पु० [सं०] सा१ब्रह्मस्त्री० २ सरस्वती हव० [सं०] हयन्यति] १ राजा नृप। २ देखो 'है'। ३ देखी 'वर' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हंसियो पु० १ लोहे की पतली पत्ती का चन्द्राकार बना एक कृषि उपकरण । २ हाथी के अंकुश का चन्द्राकार भाग । हंसी - स्त्री० १ ( राजस्थान में ) दूध देने वाली गायों की अच्छी नस्ल व इस नस्ल की गाय । २ हंसने की क्रिया या भाव, ffइट ३ मुस्कान, मृदुहास्य ४ मजाक, परिहास, दिल्लगी । ५ मजाक के तौर पर की जाने वाली बात । ६ जगहंसाई, निदा ७ मजाक या उलाहने के रूप में दिया जाने वाला ताना, व्यंग मादा हंस । ९ प्रार्या या गाहा छंद का एक भेव । १० एक वणिक छन्द विशेष । हंसी- १. देखो 'हंस' २ देखी 'हंस' 'हकार - देखो 'हाहाकार' । ह-पुं० १ हर्ष । २ चोर ३ शिव । ४ काष्ठ । ५ निरवेधा । ६ मृगाक्ष । ७ शून्य ८ प्राकाश । ९ जल, पानी । १० ध्यान ११ चन्द्रमा, शशि । १२ स्वर्गं । १३ ज्ञान । १४ कल्याण, मंगल । १५ खून, रस्ता १६ डर, भय । १७ कारण, सबब । १८ भगवान विष्णु । १९ वैद्य, चिकित्सक। २० घोड़ा, प्रश्व । २१ लड़ाई, युद्ध | २२ अभिमान गर्व २३ एक प्रकार का योगासन २४ हास्य, हंसी । २५ राजस्थानी कविता में एक पाद पूर्ति सूचक वर्ण । २६ एक प्रकार का प्रव्यय । - देखो 'हां' | हदंवर देखो 'यवर'। हउंस हई १ देखो 'हब' २ देखो 'है'। हईअगवीन- देखो 'हयअंगवीन' । हईद, हईडद्द, हईडो-देखो 'हिन्दी' । हळदेसी 'ळ' । हईवर पु० १ योद्धा वीर । २ देखो 'हयवर' । सावळी स्त्री० १ निसारणी छन्द का एक भेद २ हंसो की देखो '' अवली पंक्ति । हस देखो 'हंस' For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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