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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बतकीरत www.kobatirth.org स्र ुतकीरत, स्रुतकीरति स्रुतकीरती - पु० [सं० श्रुतकीर्ति ] १०जुन व द्रौपदी का एक पुत्र । २ दशरथ सुत शत्रुघ्न की पत्नी का नाम ३ वसुदेव की बहन का नाम । ग्यान पु० [सं०] तज्ञान] शास्त्रों को पढ़ने-सुनने से प्राप्त होने वाला ज्ञान । (are) तदेव - पु० [सं० श्रुतदेव ] १ श्रीकृष्ण के महारथी पुत्रों में से एक । २ एक कृष्ण भक्त वैरागी ब्राह्मण । ३ विष्ण का एक पार्षद । तदेवा, स्रुतदेवी स्त्री० [सं० श्रुतदेवी ] १ वसुदेव की बहन । २ सरस्वती देवी | नर० [सं० न लघु तध्वज पु० [सं०] विराट के राजा का एक भाई । त्र से स्त्रतसेन - पू० [सं० श्रतसेन] १ भीमसेन व द्रौपदी का एक पुत्र । २ एक नाग ३ परीक्षित का पुत्र, एक राजा । [सं० । स० [० चवा] १ सूर्य पुत्र शनि का एक नाम २ सावरण मनु का नामान्तर ३ एक महर्षि । ४ वसुदेव की बहन व शिशुपाल की माता । त्र ुति स्त्री० [सं० श्रुति] १ सुनने की क्रिया या भाव, श्रवण । २ शब्द, ध्वनि । ३ कान, कर्णं । ४ वेद । ५ एक योगिनी । ६ युक्ति, कथन । ७ जन श्रुति ८ प्रनुप्रास का एक भेद । ९ कदम ऋषि की पत्नी । १० संगीत में स्वर का अन्तराल ११ श्रवण नक्षत्र । १२ चार की संख्या सूचक शब्द । स्र ुतिधर - वि० [सं० श्रतिधर] जिसकी स्मरण शक्ति प्रत्यन्त तीव्र हो । त्रत पु० कान, कर्णं । किला । तिवांग तिवांगी, स तिवान स्त्री० [सं० ति-वाणी ] १ वेद वाक्य, वेदों की वाशी । २ वेदों में प्रास्था रखने वाला । a. तिविदा स्त्री० [सं० तिविदा] कुश द्वीप की एक नदी । - पु० [सं० स्रवा ] यज्ञाग्नि में घी इत्यादि की प्राहुति देने का लकड़ी का चम्मच । तूल-पु० गढ़, स्रोता स्त्री० पंक्ति । · खि सी० [सं० पंखा, पंकि २ समूह १ । दल ३ कारीगरों का संघ, व्यापारियों का संगठन । ४ शृंखला, सिलसिला ५ सेना, फौज ६ जना, सोढी । ७ वर्ग, विभाग, दर्जा । बद्ध क्रि०वि० कतार में, पक्ति से । त्रय - वि० [सं० श्रं यस्] १ उत्कृष्ट, बेहतर । २ उत्तम श्रेष्ठ । १३ मंगलमय, कल्याणकारी शुभ । ५ यशदाता, कीर्तिकर । स्त्री० १ उत्तमता। अच्छापन। २ शुभ आचरण । ३ भलाई, कल्याण । तमुख- पु० [सं० तिमुख] ब्रह्मा चतुरानन । सिरंजण. तिरंगी (मी)- स्त्री० [सं०] तिरंजनी] कर्नाटक मोति देवो 'मोखित' । पद्धति की एक रागिनी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - त्रयसी - स्त्री० [सं० श्र ेयसी ] हरडे, हरीतकी । पस्कर पु० [सं०] [पस्कर जैनियों के ग्रहों में से ६६ व ग्रह - वि० अपेक्षाकृत उत्तम । स्रोतस्वी यांस यांसनाथ पु० [सं० श्रयासनाथ ] जैनियों के एक तीर्थ ंकर का नाम । बड़ा ० १ जैन साधु साधु संन्यासी। त्रस्ट देखो स्ठ' । त्रस्टता देखो स्र ेस्ठता' । स्टो-देखो स्टी' । - ेष्ठ] । । खेस्ट पु० [सं०] १ विष्णु २ कुबेर ३ व 1 ४ राजा नृप । ५ सुधामन देवों में से एक ६ गाय का दूध सर्वोतम सर्वोत्कृष्ट २ मुख्य प्रधान - वि० ३ वृद्ध, बूढा । 1 स्त्री० [सं०] प्रधानता २ खासियत विशेषता पु० [स०] [ष्ठ प्रथम स्वाम त्रस्ठी- पु० [सं० श्रष्ठिन् ] प्रतिष्ठित व्यवसायी, सेठ । श्रोण पु० [सं० श्रोण ] एक प्रक प्रकार का रोग - वि० १ लंगडा, लूना । २ लाल, रक्त वर्ण । ३ देखो 'सोणित' । ४ देखो स्रोणि' । श्रोणि पु० [सं० श्रोणि श्रोणी ] १ चूतड़, नितम्ब । २ कटि कमर । ३. मार्ग, रास्ता । खो लोणी-स्त्री० [सं०क्षोणी ] १ भूमि, पृथ्वी । २ देखो 'सोणित' । ३ देखो 'स्रोणि' । For Private And Personal Use Only तर बोलीसूत्र पु० [सं० बोलि + सूत्र ] एक प्रकार का प्राभूषण विशेष, कटिमेखला । स्रोत पु० [सं०] घोत] १ क कान २ हाथी की सूंड [सं० स्रोतं] १ चश्मा, सोता, धार २ जलप्रवाह, तेज प्रवाह वाली नदी । ३ वह आधार या साधन जिसमें से कोई वस्तु बराबर निकलती या प्राती रहे । ४ वंशपरम्परा ५ कुए आदि में जमीन के अन्दर से आने वाली जल धारा ६ लहर, तरंग ७ जल, पानी । ८ इन्द्रिय | खोस० [सं०] स्रोत[]]] नदियों का स्वामी मुद्र खोयत (पति, पती) - ० [सं० बोत पति] समुद्रसागर त्रातस्वी. स्रोतस्विनी स्त्री० [सं० स्रोतस्विनी] नही सरिता । ।
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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