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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । ७९ ) पीर पीर, पी, पीवी,पीधु', पीधौ-देखो 'पीन्हो' । पीपी-स्त्री० [सं० पिप्पल] १ पीपल का फल । २ फूक कर बीन-वि० [सं०] १ मोटा, स्थूल, मांसल । २ भरा पूरा, बजाने का बच्चों का खिलौना। ३ छोटा टीन । सम्पन्न । ३ पुष्ट । ४ देखो 'पीन्हीं'। -पु. बड़े-बड़े पीपूड़ी, पीपूड़ीपरड़-स्त्री० एक छोटा सर्प विशेष जो उछल कर वक्षस्थल, कुच। काटता है। पीनरण-देखो 'पींजण'। पीपी-पु० १ लोहे की पतली चादर का बना तेल प्रादि डालने पीनणी-देखो 'पीजणी'। का चौकोर पात्र । २ कूए से पानी निकालने की डाली पीनणी (बी)-देखो ‘पीजणी' (बो)। विशेष । ३ गागरोण का खींची राजा। पीनस-पु० [सं०] १ सर्दी, जुखाम । २ नाक का एक रोग। पीब-देखो 'पीप'। ३ देखो 'पिंजस'। पीय-१ देखो 'प्रिय' । २ देखो 'पिता'। पीनसी-वि० पीनस रोग से पीड़ित । पीयरण-वि० पीने वाला। -स्त्री. १ पीने की क्रिया या भाव । पीनारा-देखो "पिंजारा'। . २ देखो 'प'णो'। पीनारो-देखो 'पिंजारौं'। पीयणजहर-देखो 'पीप्रणजहर'। पीनोड़ो, पोन्ह, पीन्होड़ो, पीन्ही-वि० सं० पीत] पान किया | पीयरणो-देखो 'परणो'। हुमा, पिया हुआ। पीयमधु-पु० [सं० प्रियमधु] श्रीकृष्ण के बड़े भाई, बलराम । पीप-पु० [सं० पूर्य] फोड़ा, फुसी, घाव आदि में भरने वाला पीयर-देखो 'पी'र'। मवाद। पीयल-स्त्री० [सं० पा] १ सिंचाई की कृषि भूमि । २ उक्त पीपड़ी-१ देखो 'पीपी'। २ देखो 'पीप'। भूमि में सिंचाई से होने वाली फसल । ३ पीले रंग की पीपड़ो-पु०१ चारों ओर से उठे हुए किनारों का लोहे का एक चिड़िया। ४ शराब की गोष्ठी। ५ कान का प्राभूषण पतरा । २ देखो 'पीपी'। विशेष । पीपर-पु० [सं० पिप्पली] १ एक प्रकार की लता । २ उक्त | पीयळी, पीयली-देखो 'पीळी' । लता की कली जो मौषध में काम माती है। ३ देखो पीयांण, पीयारणउ, पीयारणो-देखो 'प्रयांण'। 'पीपळ'। पीया-१ देखो 'प्रिय' । २ देखो 'प्रिया'। पीपरामूळ-देखो 'पिप्पळीमूळ' । पीयाई-१ देखो 'पिसाई' । २ देखो पिपाई। पीपळ-पु० [सं० पिप्पल] १ बरगद जाति का एक पवित्र वृक्ष । पीयामह-पु० [सं० पितामह १ पितामह । २ देखो "पियमधु'। २ देखो 'पीपर'। पीयार-१ देखो 'पाताल'। २ देखो 'प्यार'। पोपळपतो, पीपलपत्ती, पोपळपान-पु० [सं० पिप्पलपत्र] | पीयारडु, पीयारडो-वि० १ पराया, दूसरे का। २ देखो १पीपल वृक्ष का पत्ता, पान । २ स्त्रियों के कान का | 'प्यारी'। प्राभूषण विशेष । ३ पीपल के पत्तों के प्रकार की बनी | सारी-टेखो प्राभूषणों की झल्लरी। पीयारी-देखो 'प्यारी'। (स्त्री० पीयारी) पीपळपानकटार-स्त्री० पीपल के पत्ते के प्रकार की बनी पीयाल-१ देखो 'पाताळ'। २ देखो 'प्यालो'। कटार। पीयाली-देखो 'प्याली'। पोपळामूळ-देखो 'पिप्पळीमूळ' । पोयालो-देखो 'प्यालो'। पीपळि-१ देखो 'पीपर'। २ देखो 'पीपळी'। पीयूख, पीयूस-पु० [सं० पीयूषं] १ अमृत, सुधा । २ दूध । पीपलिगच्छि-पु. जैन साधुओं का दल या समूह विशेष । -वि० मधुर। पोपळियो-वि० पीपल के वृक्ष का या पीपल संबंधी। -पु. १पीपल का फल । २ देखो 'पीपळ' । पीयोड़ो-वि० [सं० पीतः] (स्त्री० पीयोड़ी) पिया हुआ । पीपळी-स्त्री० [सं० पिप्पल] १ पीपल की जाति का एक वृक्ष | पीयो-देखो १ 'प्रिय' । २ देखो पियो' । विशेष । २ बहन जो धर्म की प्रतीक हो। ३ एक पी'र-पु० [सं० पितृ-गृह] स्त्री या लड़की का मायका । पिता राजस्थानी लोक गीत। ___का घर । पीहर। पीपळो-पु. तलवार का चन्द्राकार भाग। | पीर-वि० [फा०] १ महात्मा, सिद्ध । २ बड़ा, पूज्य । ३ बूढा । पीपावंसी-पु०१ पीपा नामक भक्त के वंशज । २ दजियों की | ४ चालाक, धूर्त ।-पु. १ धर्म गुरु, उपदेश । २ सिद्ध पुरुष । एक शाखा। ३ मुसलमानों का पैगंबर। ४ सोमवार । ५ पीड़ा, दर्द । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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