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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सूळधारी www.kobatirth.org सूळवारी वि० [सं०] हारी] त्रिशूलधारी, मूल धारण करने शूलधारी] बाबा ० १ शिव, महादेव स्त्री० २ देवी, दु सूळनासी स्त्री० [सं० शूलनाशिन् ] हींग | सूळपण सूळणि सूलपाणि ( णो ) - वि० जिसके हाथ में त्रिशूल रहता हो। २ पार्वती, दुर्गा । [सं० शूलपाणिन् ] पु० १ शिव, महादेव । सूलसामान पु० साज-सामान, साधन-सामग्री सूळहती - पु० [सं० शूल हस्त] दुर्गा, पार्वती । सूळ सूळही पु० [सं० शूलहस्त] १ शिव, महादेव स्त्री० २ दुर्गा, पार्वती धारी, त्रिधारी मूलहरी पु० एक एक विशेष का पोटा सूळांगारियो. सूळागारी- पु० 'सूला' (मांस) बनाने वाला । सूळायक सूळातच देवळ १ २ सूचि क्रि०वि० छो तरह भलो प्रकार सूचिक- पु० [सं० शूलिक] १ खरगोश । नामान्तर - वि० १ त्रिशूलधारी । २ वाला । ३ वात विकार से पीड़ित । · ( ८४० ) २ देखो 'मूळ' शिवजी का एक शिवजी का एक फांसी पर चढ़ाने टी-२० [१०] दुर्ग पाती। सूटियां सूलिया क्रि०वि० ठीक तरह अच्छी तरह से १ । वि० ३ स्वस्थ । पू० १ प्राराम २ ढंग से तरीके से 7 चैन सुख । २ सुविधा । सूळियौ पु० भैंस, गाय आदि के बछड़े के मुंह पर बांधा जाने वाला कांटेदार उपकरण । सूळी, स्त्री० [सं०] १ प्राचीन समय में प्राण दण्ड देने का एक उपकरणं । २ इस उपकरण से दी जाने वाली सजा । ३ कांटे के समान चुमने वाली कोई चीज । ४ कष्ट या दुःख भरा जीवन ५ दर्द पीड़ा, वेदना ६ देखो 'सूळो' [सं० शूलिन् ] ७ शिव का एक नामान्तर - वि० १ कृश, दुर्बल २ संद्धान्तिक, उसूल वाला । देखो 'सूळो'। 1 वाला एक बना देता है । की छड़ से सूळो, सूली पु० [स० शूलः] १ लकड़ी के लगने प्रकार का कीड़ा जो लकड़ी का घाटा २ क्षय रोग जैसा कोई रोग विशेष । ३ लोहे सेका हुप्रा एक प्रकार का मांस । - । सूजी, सूरहो कि०वि० (स्त्री०मूली) १ सीधे हाथों से २ दाहिनी ओर वि० ३ श्रेष्ठ, उत्तम । ४ सीधा, शरीफ, सज्जनं । ५ कुशल, प्रवीण । सूब सूबड़ी सूवडियो सूरी-देखो 'बो' सूरो (बी) - क्रि० [सं० शयनम् ] १ नींद लेने के लिये सोना; शयन करना, नींद लेना । २ विश्राम करना, भाराम करना, लेटना । ३ रूठकर सोना । सूबर - पु० [सं० शूकर] वराह, सूर। - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूर्याणी (बी-देखो 'वाणी' (बी)। सूबाड़ - पु० [सं० सुतिछ-वृत्ति ] १ प्रत्र सौरी। २ देखो 'सुवावड़' । सुबाड़ी-देखो 'सुबाड़ी' । सुवालको पु० स्त्रियों के कारण विशेष सूवारथ- देखो. 'स्वाग्थ' । सूबारे देखो 'सुबारा'। सूबो - पु० [सं० शुक] १ कीर, तोता, सुग्गा । २ शिशु के जन्म पर गृह परिवार में रहने वाला ग्रशौच, प्रसूति का काल । ३ बोरा श्रादि सीने की बड़ी सूई, सूत्रा ४ एक लोक गीत विशेष । सूस - पु० १ मगर की तरह का एक बड़ा जल जंतु । २ देखो 'सुस' ३ देखो 'सिसु । सूमसम-देखो सुखमदुव सूसमसूसम- देखो 'सुखमसुख' । सूसमार - देखो 'सिसमार' । सूसो - देखो 'सु' | सूटो-देखो सू सॅठाई सूखी-पो० १ ऊंट के 'वारनामे' के नीचे लगाई जाने वाली गद्दी । २ एक प्रकार की धारीदार चारखानों की चादर । सुसीम स्त्री० शीत, सर्दी ठंड । सूहलो १ देखो 'बोली' २ देवो 'स्वप्न' हर-१ देखी 'सूर' २ देखो सुबर'। - । व स्त्री० सौभाग्यवती या सुहागन स्त्री संघवा सुहाकांन्हड़ा - पु० सब शुद्ध स्वरों का सम्पूर्ण जाति का एक राग । सूहाटोडी-स्त्री० एक राग विशेष । सुहाली स्त्री० एक खाद्य पदार्थ विशेष । (मि० सुश्र 'ळी ) सू० स्त्रियों के छोड़ने का एक वस्त्र विशेष संग देवो'ग'। पापी० में पकाई हुई बाजरे की घाट । संगत - वि० [सं० सम- गति ] १ जिसका वातावरण के साथ तारतम्य बैठ रहा हो, किसी परिस्थिति या वातावरण का प्रादी, अनुकूल । २ इमसफर हमराही । सेंगर पु० [देश०] एक राजपूत वंश - सेंचळ पु० एक प्रकार का नमक । For Private And Personal Use Only संजयौ पु० एक प्रकार का वृक्ष जिसके फूल लाल, नीले व श्वेत रंग के होते हैं, फूलों का रायता व फलियों का शाक बनता है । सेंजोड़ें - क्रि०वि० १ साथ-साथ, एक साथ । २ युग्म से । सेंटो १ देखो 'सोठी' २ देखो''। सेंठाइ, सॅठाई-देखो 'संठाई' |
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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