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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोगळरणौ पीठमर ५ प्राशय मतलब । -दान, दांनी-पु. थूकने का | वाले स्थान से पहले पूर्व में। ५ चलने वाले के पृष्ठ भाग पात्र। में। ६ तदनन्तर, बाद में, पश्चात् । ७ अनुपस्थिति में । पोगळणी, पीघळरणो (बो)-देखो "पिघळणी' (बी)। ८ अत में, पाखिर में । ६ लिये, वास्ते, निमित्त । पीर-देखो 'पीड़ा'। १० मरणोपरान्त, बाद में । पीडक-वि० [सं० पीडक] १ कष्ट देने वाला, पीड़ा पहुंचाने | पीछोड़लू-देखो पछेवडो' । वाला । २ प्रत्याचारी, प्राततायी। ३ ग्रहण करने वाला | पीछोड़ी-देखो पछेवड़ी'। पकड़ने वाला। ४ दबाने वाला। पोछौ-पु० [सं० पश्चात् ] १ जाने या भागने वाले के पीछे-पीछे पोड़ण, पीडाणी-स्त्री० [सं० पीडन] १ कोई मानसिक या जाने की क्रिया या भाव । २ पृष्ठ भाग । ३ पिछवाड़ा। शारीरिक कष्ट । २ दर्द, पीड़ा । ३ प्राक्रमण द्वारा किसी | पीजणवाव-स्त्री० प्रजा से लेने का एक प्राचीन कर । देश को बर्बाद करने का कार्य । ४ कष्ट, सकट । ५ सूर्य या | पीजणी-देखो ‘पीजणी'। चंद्र का ग्रहण । ६ उच्छेद, नाश । ७ स्वरों के उच्चारण | पीजवरणो (बी)-देखो 'पीजरणो' (बी)। का एक दोष । पीजहलउ, पीजहलू-पु० [सं० पेय फलम्] पेय फल । पीड़णी (बी)-क्रि० [सं० पीडनम्] १ पीड़ा देना, कष्ट देना। | पीट-स्त्री० [सं० पीड] प्रहार, चोट, मार । २ दर्द करना । ३ तंग या परेशान करना, दुःख देना। पीटणी (बो)-क्रि० [सं० पीडनम्] १ मारना, चोट लगाना । पीड़त-देखो पीड़ित'। २ पिटाई करना। ३ प्रहार करना, प्राघात करना। पीड़न-देखो 'पीड़ण'। ४ सोना, चांदी प्रादि धातु की पिटाई करना । ५ बजाना । पीड़ा-स्त्री० [सं० पीडा] १ रोग, बिमारी, व्याधि । २ यातना, ६ किसी तरह उपार्जन करना । ७ खेल में गोटी को कष्ट दुःख । ३ वेदना, व्यथा, दर्द। ४ शारीरिक पीड़ा । मारना । ८ प्रतियोगिता में हराना । ५ अव्यवस्था के कारण होने वाली असुविधा। ६ चंद्र या पीटोकड़, पीटोकड़ो-वि० [सं० पीड] (स्त्री० पीटोकड़ी) सूर्य ग्रहण । ७ नाश, उच्छेद । ८ हल्दी। -कर-वि०१ निर्लज्ज, ढीट, दुष्ट । २ मार खाने का प्रादी। कष्टप्रद, हानिकारक । -घर-पु० दुःखदाई स्थान, वस्तु पीठ-स्त्री० [सं० पृष्ठम्] १ छाती व पेट के पीछे का भाग, या कार्य। -वि. जिसके रोग या दुःख मधिक रहता हो । पृष्ठ भाग। २ वस्त्रादि का पिछला हिस्सा। ३ फुर्सी, -स्थान-पु. जन्म कुण्डली में अशुभ ग्रहों का स्थान । सिंहासन आदि में पीठ टिकाने का स्थान । ४ मकान मादि पीड़ावणौ (बो)-क्रि० [सं० पीडनम्] १ पोड़ामय होना, कष्ट का पिछवाड़ा। ५ दुकान पर ग्राहकों की भीड़ । युक्त होना । २ प्रसव पीड़ा होना। ६ जलाशय पर पानी पीने वाले पशुओं की भीड़ । पीड़िका-स्त्री० [सं० पीडिका] फुसी, फोड़ा। [सं० पीठः] ७ मूर्ति का प्राधार स्थान । वेदी। प्रासन, पीड़ित-वि० [सं० पीडित] १ पीड़ा या व्यथा से ग्रस्त । कुशासन । बैठने की चौकी, पीढ़ा। १० बैठने का ढंग, २माधि-व्याधि से दुःखी। ३ अत्याचार या जुल्म का मुद्रा, प्रासन । ११ राज सिंहासन । १२ किसी धर्म या शिकार, माक्रान्त । ४ दुःखी, परेशान । ५ शृगार का एक शिक्षा का केन्द्र । १३ वह स्थान जहां सती के शरीर का प्रासन । अंग विष्णु के चक्र से कटकर गिरा हो। १. कपड़े की पीच-पु. १ समूह, भीड़। २ जलाशय के किनारे पानी पीने बुनावट की मोटाई, दृढ़ता । वाले पशुमों की भीड़। ३ कूए से पीने का पानी निकालने | पीठक-स्त्री० [सं०] चौकी । पीढ़ा। का कार्य या श्रम । ४ इस कार्य का पारिश्रमिक । ५ऐसे | पीठगरभ-पु० [सं० पीठगर्भ] मुर्ति को जमाने का गड्ढा, वेदी। पानी के उपयोग के बदले दिया जाने वाला कर। पीठड़ली-देखो 'पीठी'। पोचको-पु० [सं० पा] सार्वजनिक कूमा । पीठड़ी-स्त्री० [सं० पिष्टि] प्रांख की एक दवा विशेष । पोचू-पृ० करील का पका फल, ढालू । पीठनायका-स्त्री० [सं०] १४ वर्ष की कन्या जो दुर्गोत्सव में पीचो-देखो 'पींची'। दुर्गा की प्रतिनिधि मानी जाती है। पीछ-पु. १ पर्दा । २ पूछ। ३ पीछे। ४ देखो 'पीच'। पीठभू-पु० [सं०] चहार दिवारी के पास-पास का भू-भाग । ५ देखो 'पींछ'। पीठमरद (क)-पु० [सं० पीठ-मर्द] १ नायक के चार सखामं पीछम-देखो 'पच्छिम'। में से एक । २ कुपित नायिका को प्रसन्न करने वाल पीछे, पीछ-क्रि०वि० [सं० पश्चात] १ विरुद्ध या विपरीत नायक। ३. वेश्या को नृत्य सिखाने वाला उस्ताद, नत्य दिशा में। २ मागे, सामने । ३ पृष्ठ भाग में। ४ माये | शिक्षक। For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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